बाबर की ये बीवियां संभालती थीं मुगल हरम, इस जगह पर लगाई गई थी ड्यूटी

These wives of Babur used to handle Mughal Haram, duty was imposed at this place

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मुगल हरम का सर्वेसर्वा

मुगल काल में शासक या बादशाह ही राज्य के प्रमुख होने के नाते मुगल हरम का भी सर्वेसर्वा होता था और इस कारण, वह हरम के लोगों की जिंदगी और उससे जुड़ी सभी गतिविधियों का वास्तविक संचालक, निर्णायक या स्वामी होता था

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बाबर की पत्नियों पर जिम्मेदारी

शासक बाबर अपनी मां या उसकी अनुपस्थिति में अपनी पटरानी को 'हरम' की संरक्षिका का कार्यभार सौंप देता था, किन्तु वास्तविक स्वामी तो वही होता था

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पटरानी संभालती थी काम

अतः जब उसकी पटरानी 'महिम' को ये सन्तानें सौंपी गयीं तब तो यह दोनों स्वामियों या स्वामी-स्वामिनी को उनके अधिकार के तहत कार्य ही था

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कैसा था हरम का रहन-सहन

'मुगल हरम' के रहन-सहन, रीति-रिवाजों, प्रशासन और उसके कार्य समझने का एक नया नजरिया भी देते हैं

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बाबर की पत्नी और उसके बच्चे

बाबर की एक अन्य पत्नी गुलरुख भी थी. इस पत्नी से बाबर की अनेक सन्तानें हुईं, इनमें से दो पुत्र शाहरुख और अहमद थे. दोनों का निधन शैशवावस्था में ही निधन हो गया था. गुलरुख से उसकी एक पुत्री गुल-इजार थी. इसका भी इन्तकाल बचपन में ही हो गया था

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अन्य संतानों का भी है जिक्र

लेकिन उसके बाद गुलरुख से बाबर की दो अन्य सन्तानें हुईं, कामरान और अस्करी जिनका उल्लेख हमें निरन्तर हुमायूं के शासनकाल में मिलता है

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हुमायूं ने भाई को हराया

कामरान को ही तो पराजित करके हुमायूं दुबारा भारत में स्थापित हुआ था और ये तमाम इतिहास उसके काल में ही लिखे गये

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आखिरी वक्त तक रही गुलरुख

यदि एक चीज स्पष्ट है तो वो यही है कि गुलरुख बेगम भी मुगल हरम में अंतिम समय तक रहीं, क्योंकि, उनका छोटा पुत्र वहीं हुमायूं के साथ तब तक रहा जब तक वह स्वयं भारत छोड़कर ईरान नहीं चला गया, तभी अस्करी अपने बड़े भाई कामरान के साथ रहने को मजबूर था

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अकबर को दीवार से लटकाया

लेकिन, तब तो ज्यादातर मुगल हरम भी वहीं कामरान के पास ही था, तभी तो उसने काबुल पर हो रहे हुमायूं की सेना की गोलाबारी रोकने के लिए शिशु अकबर को दुर्ग की दीवार से लटका दिया था?

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