The child does not sleep at night, do not ignore these 5 signs
बच्चों के सामने कोई हादसा या घटना घट जाए तो वे उसे जल्दी भुला नहीं पाते हैं. घर में पैरेंट्स के बीच बहस, लड़ाई-झगड़े होता देखना
किसी अपने फेवरेट व्यक्ति या बेस्ट फ्रेंड को खोने के कारण उनके मन पर इन बातों का नेगेटिव और गहरा असर पड़ता है.
बातों को वे अपने अंदर ही दबा कर रखते हैं, जल्दी किसी से शेयर नहीं करते हैं. वे दूसरों से मिलना-जुलना, बात करना कम कर देते हैं. अपने कमरे में अकेले रहने लगते हैं.
जब बच्चे 0 से 6 वर्ष की आयु के बीच कोई बुरी घटना या हादसा को अपनी आंखों के सामने होता देखते हैं तो वे चाइल्डहुड ट्रॉमा से ग्रस्त हो सकते हैं.
ट्रॉमा में होने पर बच्चे का शारीरिक, भावनात्मक और सोशल फंक्शनिंग बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है.तो अलर्ट हो जाएं. अपने अपने बच्चे के पल-पल बर्ताव पर गौर करें.
ट्रॉमा के कारण बच्चों में एंजायटी के लक्षण नजर आ सकते हैं.आप अपने बच्चे को एक पॉजिटिव माहौल देकर, उसे अपना केयर, प्यार, सपोर्ट देकर ट्रॉमा के दर्द से बाहर निकाल सकते हैं.
ट्रॉमा की स्थिति में होने पर कई बार बच्चे रात में जागते रहते हैं. उनके मन और आंखों के सामने वही सब बातें घूमती रहती हैं, जिसकी वजह से वे प्रॉपर नींद नहीं ले पाते हैं.
कई बार बच्चों के मन में ट्रॉमा का इतना गहरा असर होता है कि वे घर से बाहर जाने में भी डरते हैं. किसी से मिलने जाना, खेलने जाना, स्कूल जाना दोस्तों से ना मिलने का बहाना करने लगते हैं.
ट्रॉमा से जूझ रहे बच्चों में चिड़चिड़ापन नजर आ सकता है. उसे इनसिक्योरिटी महसूस होने लगती है कि कहीं वह अपने पैरेंट्स या घर-परिवार से बिछड़ ना जाए.