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Success Story: 60 दिन की ट्रेनिंग ने बदल दिया भाग्य, 40 लाख रुपये का मुनाफा कमाया इस फूल की खेती से

देश में सजावटी फूल किसानों के लिए एक बेहतर जरिया बनकर उभरे हैं. जिससे किसानों को अच्छी कमाई होती है.
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SUCCESS STORY

Newz Funda, New Delhi भारत में सजावटी फूलों की मांग काफी बढ़ रही है. देशभर में सजावटी फूल किसानों के लिए एक बेहतर जरिया बनकर उभरे हैं. जिससे किसानों को अच्छी कमाई होती है. महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के किसान कुड़ाल तालुका के सहदेव आत्माराम तावड़े लिली की खेती करके बहुत अच्छी कमाई कर रहे हैं. 

लिली तावड़े के मुताबिक सजावटी फूल है और ये कई तरह के रंग-बिरंगे होते हैं. सजावटी लिली को औषधीय एवं खाद्य पौधों के रूप में इसकी खेती की जाती है.

तावड़े ने बताया कि मैं दो साल से सफेद रंग की सजावटी लिली की खेती कर रहा था और 4 से 5 लाख रुपये का मुनाफा कमा रहा हूं. तावड़ा एग्रीम में डिप्लोमा धारक है और महाराष्ट्र में सिंधुदुर्ग जिले के अकेरी विलेज से शिक्षित कृषिउद्यमी हैं. 

60 दिन की ली  ट्रेनिंग

तावड़ा एग्रीम में डिप्लोमा धारक है और महाराष्ट्र में सिंधुदुर्ग जिले के अकेरी विलेज से शिक्षित कृषिउद्यमी हैं. लिली की खेती शुरू करने से पहले उसने कृष्णा वैली एडवांस्ड एग्रीकल्चरल फाउंडेशन, सिंधुदुर्ग में  एसी और एबीसी योजना के तहत ट्रेनिंग ली थी.

ट्रेनिंग के बाद उन्होंने पाया कि लिली सजावटी फूलों की खेती की थी. उन्होंने पाया कि लिली के फूल पूरे साल भर खिलते हैं, इसी दौरान मैंने उस बिजनेस को शुरू करने का फैसला कर लिया. 

बैंक से लिया 10 लाख रुपये का लोन 

लिली की खेती शुरू करने के लिए 10 लाख रुपये की लागत होती है. फूल की खेती करने के लिए धारा ब्रांच , बैंक ऑफ इंडिया, सिंधुदुर्ग से लोन ले लिया. इस फंड से उन्होंने 'तावड़े लिली फार्म' प्लांटेशन और मार्केटिंग यूनिट की स्थापना की थी.

मैनेज के मुताबिक, तावड़े ने लिली की खेती करने के लिए 2 एकड़ जमीन विकसित की थी. उन्होंने बताया कि दिन में 10-15 किलो फूलों की तुड़ाई कर ली जाती है और बाजारों में बेच दिया जाता है. हर मौसम में फूलों का भाव कम ज्यादा होता रहता है लेकिन उन्हें औसत 80-140 रुपये प्रति किलो के हिसाब से पैसे मिल जाते हैं.

40 लाख रुपये का सालाना कारोबार

उन्होंने फूलों की खेती और बागान पर 8 गांवों के 150 किसानों को इस खेती की सलाह दे चुके हैं, और नाबार्ड ने उन्हें 36 फीसदी सब्सिडी की पेशकश की थी. उनके फार्म का सालाना 40 लाख रुपये तक का कारोबार था.