थायरॉयड गले में एक छोटी सी ग्रंथि होती है जिससे थायरॉयड हार्मोन निकलता है. यह हार्मोन पूरे शरीर में कई कामों को कंट्रोल करता है.
थायरॉइड गले में स्थित एक ग्रंथि है जो विंडपाइप में लिपटा रहता है. यह तितली के आकार का होता है.इसे थायरॉयड ग्लैंड भी कहा जाता है. थायरॉयड बेशक छोटे आकार का हो लेकिन इसका काम बहुत बड़ा है.
अगर थायरॉयड सही से काम नहीं करेगा तो इसका असर पूरे शरीर पर पड़ेगा. थायरॉयड हार्मोन अगर थोड़ा सा बढ़ जाए तो भी परेशानी होती है और घट जाए तो भी परेशानी है.
जब थायरॉयड हार्मोन सामान्य से बढ़ जाए तो इसे हाइपरथायरॉडिज्म कहते हैं जबकि अगर यह घट जाए तो इसे हाइपोथायरॉडिज्म कहते हैं. यानी दोनों स्थिति में यह खराब है. इससे हड्डियों को भी काफी नुकसान होता है.
जब थायरॉड का लेवल बढ़ता है तो यह मेटाबोलिज्म को बहुत तेज कर देता है, जिससे अचानक वजन घटने लगता है. अगर जल्दी से थायरॉयड का इलाज न किया जाए तो हार्ट बीट और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है.
अगर थायरॉयड का लेवल ज्यादा हो जाए तो इसका असर हड्डियों पर भी ज्यादा होता है. जब थायरॉयड का लेवल ज्यादा बढ़ जाता है तब मेटाबोलिज्म की दर बहुत बढ़ जाती है.
अगर थायरॉयड बढ़ जाए तो अचानक वजन कम होने लगता है. थायरॉयड बढ़ने पर बेचैनी और डिप्रेशन भी तेज हो जाता है. हमेशा चिड़चिड़पन रहता है.
थायरॉयड जब किसी को बढ़ जाए तो धड़कनें तेज होने लगती है.हाथ-पैर में थरथराहट होने लगती है.थायरॉयड बढ़ने पर बाल तेजी से पतले होकर गिरने लगते हैं.
ब्लड टेस्ट से पता चलता है कि थायरॉयड है या नहीं. अगर थायरॉयड बढ़ गया है तो कैल्शियम और विटामिन डी सप्लीमेंट से इसे ठीक किया जाता है लेकिन इसे डॉक्टर से दिखाना जरूरी है