क्या है अलवर के जिले मे खास? ,दिल्ली से कितनी दूरी पर है स्थित,कैसे जाएं
Bala Fort Alwar in Rajasthan: दिल्ली से महज 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह किला बाला किला और कुंवारा किला के नाम से ...
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Newz funda, New Delhi यह प्राचीन किला राजपुताना और मुगलिया शैली में बना है और अपना खुबसुरती के लिए देशभर में जाना जाता है। यह दिल्ली से केवल 150 किलोमीटर दूर अलवर में स्थित है।
बताया जाता है कि चीन के बाद दुनिया की सबसे लंबी दीवार राजस्थान के कुंभलगढ़ जिले की है। और उसके बाद अलवर के इस बाला किले का नाम आता है। इस किले के अंदर जाने के लिए 4 दरवाजे है। यह किला पहाड़ी की चोटी पर बना हुआ है।
इस पर खड़े होकर शहर को देखना सच मे कमाल लगता है। कहा जाता है कि इस किले में कभी कोई युद्ध नही हुआ इसलिए इस किले को कुंवारा किला भी कहा जाता है।
जाने का रास्ता
अगर आप यहां जाना चाहते है तो आप सड़क मार्ग या फिर रेल मार्ग से जा सकते हैं। इसके लिए आपको सराय रोहिल्ला, दिल्ली कैंट और पुरानी दिल्ली स्टेशन से सीधा अलवर की ट्रेन लेनी है। अगर आप इस रास्ते से नहीं जाना चाहते तो आप सराय काले खां बस अड्डे से बस से कर भी अलवर जा सकते हैं। आप अपनी सवारी से भी यहां जा सकते है। यह किला शहर से महज 7 किलोमीटर दूर है। ऑटो रिक्शा लेकर भी यहां जाया जा सकता है यहां पर जंगल सफारी की भी व्यव्स्था है।
इतिहास
इस किले के बनने के पीछे कई कहानियां है। कहा जाता है कि इसे सबसे पहले आमेर के राजा काकिल के दूसरे बेटे अलघुरायजी नें संवत 1108 में अलवर की इस पहाड़ी पर एक छोटे से दुर्ग के रूप में इस किले के निर्माण का आरंंभ किया था।
इसके बाद 13वीं सदी में निंकुभों ने दुर्ग में देवी के मदिंर बनवाया और फिर अलावल खान नें 15वीं सदी में इस दुर्ग को किले का रूप दिया जिससे इसे पहचान और प्रसिद्धि मिली। इसमें बने सुरजकुड़ का निर्माण 18वीम सदी में महाराजा सूरजमल ने करवाया और सीताराम जी का मदिंर भी बनवाया।
19वी सदी में महाराज बख्तावर सिंह ने दुर्ग पर प्रताप सिंह की छतरी और जनाना महल का निर्माण करवाया. कहते हैं कि खानवा के युद्ध के पश्चात अप्रैल 1927 में मुगल बादशाह बाबर ने किले में रात गुजारी थी. खानवा के युद्ध के पश्चात अप्रैल 1927 में मुगल बादशाह बाबर ने किले में रात्रि विश्राम किया था.
क्या है खास
अलवर के इस किले को राजस्थान में सबसे बड़े किलों में गिने जाते हैं. यह किला 5 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है. किले के रास्ते पर 6 प्रवेश द्वार हैं और उनका नाम है चांद पोल, सूरज पोल, कृष्ण पोल, लक्ष्मण पोल, अंधेरी गेट और जय पोल. इन दरवाजों का नाम शासकों के नाम पर रखा गया है. यह किला कई शैलियों में बनाया गया है. किले की दीवारों पर खूबसूरत मूर्तियां और नक्काशियां है जो वाकई आकर्षक हैं. किले में सूरज कुंड, सलीम नगर तलाब, जल महल और निकुंभ महल पैलेस जैसे कई भवन बने हैं और कई मंदिर भी हैं. किले के अंदर 15 बड़े और 51 छोटे टावर बने हुए हैं जो यहां की सुरक्षा को देखते हुए बनाया गया था. इस किले की दीवारों में 446 छेद हैं जिससे गोलियां चलाई जाती थी. इसके अलावा 15 बड़े और 51 छोटे बुर्ज मौजूद हैं.