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Chandrayaan -3 में क्या-क्या किए गए हैं बदलाव, मकसद क्या है और इसके कामयाब होने की कितनी संभावनाएं हैं? ISRO चीफ ने सब बताया

चंद्रयान-3 में विक्रम के लेग्स को काफी मजबूत बनाया गया है, ताकि वह पहले की तुलना में अधिक वेग से उतरने में सक्षम हो सके। लैंडर में भी बहुत सारे सुधार हुए हैं।

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Newz Funda, New Delhi लगभग चार साल पहले, सितंबर 2019 में देशभर की नजरें आधी रात इसरो के मिशन चंद्रयान-2 पर टिकी हुई थीं। इतनी ज्यादा रात हो जाने के बाद भी लाखों-करोड़ों लोग सोए नहीं थे और टीवी सेट्स से चिपके हुए थे। हालांकि, उस वक्त लोगों को तब मायूसी मिली, जब चंद्रयान-2 सफलतापूर्वक लैंड नहीं कर सका। 

अब चार साल के बाद फिर से चंद्रमा पर चंद्रयान-3 को भेजा जा रहा है। इसरो ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं और बस दो दिन बाद यानी कि 14 जुलाई की दोपहर को यह मिशन शुरू हो जाएगा। 

इस बार का मिशन पिछले मिशन से काफी अलग है और इसरो समेत पूरे देशवासियों को उम्मीद है कि हर हाल में सफलता मिलेगी ही। चंद्रयान-3 में इस बार कई तरह के बदलाव किए गए हैं।

'Media House' के अनुसार, पिछले चंद्रयान-2 की बजाए इस बार चंद्रयान-3 में विक्रम के लेग्स को काफी मजबूत बनाया गया है, ताकि वह पहले की तुलना में अधिक वेग से उतरने में सक्षम हो सके। लैंडर में बहुत सारे सुधार हुए हैं। 

ISRO के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया, ''हमने लैंडिंग वेग को 2 मीटर/सेकंड से बढ़ाकर 3 मीटर/सेकंड कर दिया है। इसका मतलब है कि 3 मी/सेकंड की गति पर भी, लैंडर दुर्घटनाग्रस्त नहीं होगा या इसके पैर नहीं टूटेंगे। 

चंद्रयान-2 का हिस्सा रहे एक अन्य वैज्ञानिक ने बताया, ''लगभग 2 मीटर/सेकंड का लैंडिंग/टचडाउन वेग आदर्श और सुरक्षित है। और यह अच्छा है कि 3 मी/सेकेंड तक होगी, जिसका मतलब है कि अगर सबसे अच्छी स्थिति नहीं है, तो भी लैंडर अपना काम करेगा।''

अधिक ईंधन और नया सेंसर दूसरा बदलाव है। अधिक व्यवधानों से निपटने के लिए विक्रम में अधिक फ्यूल जोड़ा गया है, जिससे यह वापस भी आ सके। सोमनाथ ने कहा, ''हमने इसमें लेजर डॉपलर वेलोसिटी मीटर नामक एक नया सेंसर भी ऐड किया है, जो चांद की सतह को अच्छी तरह से देखेगा। 

लेज़र सोर्स साउंडिंग के माध्यम से हम तीन वेग वैक्टर के कंपोनेंट्स को पाने में सक्षम होंगे। हम इसे उपलब्ध अन्य उपकरणों में जोड़ने में सक्षम होंगे, जिससे मेजरमेंट में रिडंसी पैदा होगी।''

सेंट्रल इंजन और सॉफ्टवेयर में भी बदलाव

चंद्रयान-3 में इसरो ने उसके इंजन और सॉफ्टवेयर को लेकर भी काम किया है। इसरो चीफ सोमनाथ ने बताया कि इसरो ने इंजन में व्यवधान, थ्रस्ट व्यवधान, सेंसर विफलता आदि जैसी विफलताओं से बचने के लिए सॉफ्टवेयर में भी सुधार किया है। 

साथ ही, सेंट्रल या पांचवें इंजन को भी हटा दिया है, जिसे चंद्रयान -2 के दौरान अंतिम मिनट में जोड़ा गया था। उन्होंने कहा, ''लैंडर के पहले वजन के साथ पांच इंजन ठीक थे लेकिन अब हमने वजन लगभग 200 किलोग्राम बढ़ा दिया है। 

इसके अलावा, अब इसके वजन को देखते हुए, हमें लैंडिंग करने के लिए कम से कम दो इंजन लगाने होंगे। एक इंजन के साथ लैंडिंग नहीं की जा सकती है, इसलिए सेंट्रल इंजन को हटा दिया गया है।''