Marriage Rituals: शादी में जूते क्यों चुराती है साली, जाने क्यों निभाई जाती है ये रस्म
Shoe Stealing Marriage Tradition: हर एक शादी में जूते चुराने की रस्म आपने देखी और सुनी होगी. लेकिन क्या आप इसकी वजह जानते हैं अगर नहीं जानते तो आज हम आपको बतायेंगे कि सालियां शादी में जूते क्यों चुराती है.
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Newz Funda, New Delhi हमारे भारत देश में अलग अलग गांव, क्षेत्रों में विवाह-शादियों में अलग अलग रस्में होती है. विवाह में एक से बढ़कर एक रस्म अच्छी तरह से निभाई जाती है. कुछ रस्मों में आजकल के जमाने में बदलाव आने लग गया है लेकिन कुछ रस्में पीढ़ीयों से चली आ रही है. लेकिन आज भी लगभग शादियां परंपरागत तरीके से ही की जाती है. विवाह में बहुत सी रस्में होती है जिनकी लोग बहुत शौंक से तैयारियां करते हैं. बहुत शौंक से इन सभी रस्मों इंजॉये भी करते हैं. इन्ही रस्मों में से एक रस्म जूता चुराई की होती है, इस रस्म के बारे में शायद ही किसी को पता होता है, कि शादी में दुल्हन की बहन यानि दूल्हे की शाली जूते क्यों चुराती है.
जूते चुराने की रस्म
किसी भी मंगल कार्य पूजा, पाठ को करने से पहले चप्पल जूते बाहर निकाल देते हैं. वैसे ही दूल्हा जब मंडप में बढ़ता है तो अपने जूते उतार देता है. तभी दुल्हे की सालियां जूते चुराकर ले जाने की कोशिश करती है. लेकिन तब दूल्हे के जीजा जी और उसके साथी जूते चोरी होने से बचाने की कोशिश में लगे रहते है.
परतुं सालियों के आगे उनकी एक नहीं चलती है और आखिर वे जूतों को चूरा ही लेती है. विवाह में जूता चूराई की रस्म का विशेष महत्व होता है, और फिर वे जूतों का नेग मांगती है. जब तक उनको मन चाहा नेग नहीं मिलता है तब तक जूते वापिस नहीं देती है.
जानिए जूते चुराने की वजह
जूते चुराने की वजह के बारे में बात करें तो ये माना जाता है कि जूते जिसके भी हों उसके बारे में उसके राज खोल देते हैं. इसी कारण से विवाह शादी में दूल्हे की शाली जूते चूराकर अपने जीजा जी की पॉवर चैक कर लेती हैं या ऐसा माना जाता है कि जीजा जूते लेते वक्त कितनी समझदारी दिखाता है.
खुशियों में बदलता है गम का माहौल
विवाह में दूल्हा-दूल्हन के सात फेरे लेने के बाद जूता चुराई की रस्म की जाती है और मां बाप अपनी बेटी को वर पक्ष को सौंप देते हैं, और दुखी हो जाते हैं. इसके बाद सालियां होती हैं वे जूता चूरा लेती है. इस रस्म को देखकर दोनों पक्ष के व्यक्ति खुश हो जाते हैं और गमी का माहौल खुशी में छा जाता है.
जूता चुराने की रस्म चलते दोनों परिवारों में हंसी मजाक व बातचीत शुरू हो जाती है. जिससे सब एक दूसरे से बात करते हैं और रिश्ते मजबूत बनाते हैं. इसलिए जूता चुराई की रस्म को मजाकिया व प्यार बढ़ाने की रस्म भी कहा जाता है.