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कितनी दूर है चंदा मामा से चंद्रयान-3,बहुत खास है अगले दो दिन

इसरो की जानकारी के अनुसार चंद्रयान-3 अब चांद की सबसे निकटवर्ती ऑर्बिट में पंहुच गया है बताया जा रहा है कि अगले दो दिन इस मिशन के लिए बहुत खास होने वाले हैं। 16 अगस्त सुबह करीब साढ़े आठ बजे चंद्रयान को 100 किमी की ऑर्बिट तक पहुंच सकता है।

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Newz Funda, New Delhi चंद्रयान-3 को 14 जुलाई के दिन आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र ले लॉन्च किया गया था। अब 23 अगस्त को चंद्रयान-3 अंतरिक्ष में अपनी निर्धारित चंद्रमां लैंडिंग के लिए तैयार है। 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) चंद्रयान-3 मिशन के साथ एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है, जिसका लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर सफल लैंडिंग करना है। अगर यह मिशन सफल रहता है तो इसके बाद भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के साथ इस खास उपलब्धि को हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा। जो कि बहुत ही गर्व की बात होगी।

चंद्रयान-3 की सफलता को चंद्रमा के लिए तीसरे अभियान के साथ-साथ चंद्रमा के सर्फेस पर सॉफ्ट लैंडिंग हासिल करने के उसके दुसरे प्रयास के रूप के तौर पर देखा जा रहा है। 2019 में चंद्रयान-2 का मिशन असफल हो गया था इसके बाद इस नए मिशन को अगले चरण के रूप में देखा जा रहा है। 

इस समय तक चंद्रयान-3 अपनी यात्रा  का दो-तिहाई सफर तय कर चुका है आने वाले अगले दो दिनों को इस सफर के लिए बहुत ही खास बताया जा रहा है।

कंहा तक पंहुचा चद्रयान-3

बताया जा रहा है कि चंद्रयान-3 अब चंद्रमा की निकटवर्ती ऑर्बिट में पंहुच गया है। इसरो ने जानकारी दी है कि 16 अगस्त सुबह साढ़े आठ बजे चंद्रयान को 100 किलोमीटर की ऑर्बिट तक पंहुचाने के लिए जो प्रकिया है उसे अंजाम दिया जाएगा। 17 अगस्त के दिन इसरो चंद्रयान-3 को प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर से अलग करेगा।

चंद्रयान-3 मुख्य रूप से तीन प्रमुख लक्ष्यों को प्राप्त करने पर केंद्रित है। एक सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग, रोवर के जरिए चंद्रमा के डाटा को इकट्ठा करना और वैज्ञानिक प्रयोग करना। चंद्रयान-3 के लिए स्वीकृत बजट 250 करोड़ रुपये है, जिसमें लॉन्च वाहन से संबंधित खर्च शामिल नहीं हैं।

चंद्रयान-3 के इस चरण की शुरुआत जनवरी 2020 में शुरू हुई, जिसका लक्ष्य 2021 में लॉन्च करना था। हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण  मिशन को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। 

चंद्रयान-2 मिशन को 2019 में चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। इसके बाद इसरो ने अपने अगले प्रयास में चंद्रयान-3 को भेजा है।