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Haram: शाहजहां मर्दाना ताकत पाने के लिए किया करते थे ये काम, हरम की महिलाएं जुककर करती थी...

मुगल राज के समय महल की दिवारों के पीछे महिलाओं की एक अलग ही कहानी थी। जिसमें राजा, रानियों और शहजादियां के सुविधा के लिए रखी दासियांए उन्हें प्रशिक्षण देने वाली औरतेंए नौकरानियांए बावर्चिनए नर्तकियांए गायिकाएंए धोबिन और चित्रकार समेत रहती हैं।

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Newz Funda, New Delhi मुगल काल के दौरान महलों की चारदीवारी के अंदर राजा, रानियों और शहजादियों के इलावा ओर भी सैंकडों की संख्या में महिलाएं रहती थी।

मुगल राजा यहां एक ओर प्रजा को देखते वही अपने पलों को रंगीन करने के लिए रानियों के साथ साथ अन्य महिलाएं भी महल के कमरों में रखी जाती थी, जिससे हरम कहा जाता था। जहांआरा ने अपनी डायरी में हरम के बारे में बताते हुए लिखा हैए श् यहां मौजूद कई महिलाओं का जन्म ही हरम के अंदर हुआ है।

डेयरी में लिखा है कि एक बार हरम का हिस्सा बनने के बाद बाहरी लोगों से उनका कोई संबंध नहीं रहता था। साथ ही यहां की महिलाओं का चेहरा राजा के इलावा कोई नहीं देख सकता था। 

इतिहास में मुगल काल में बादशाह के हरम की अनेकों कहानियां लिखी गई हैं। इसी के साथा ही वहां होने वाली बर्रबता पर भी दुनियाभर के कहानीकारों ने अपनी किताबों में खुलकर जिक्र किया है।

शाहजहां की बेटी जहांआरा ने भी अपनी डायरी में हरम को लेकर विस्तार में जिक्कर किया है। वो लिखती हैं कि हरम में जिन सुंदर सुंदर लड़कियों को लाया जाता था और यहां आने के बाद बाहरी दुनिया के लिए वो जिन्न की तरह गायब हो जाती थीं।

ऐसा होता था राजा का मनोरंजन

महल से बाहर बादशाह का किसी पर दिल आता था तो वह उसे जबरदस्ती हरम में शामिल कर लेते थे। जिसके बाद बादशाह मौजमस्ती करने के लिए इन महिलाओं के साथ संभोग करते थे।

संभोग एक के साथ ना कर बादशाद कई सारी महिलाओं को स्नानघर और बगीचों में निवस्त्र होकर रहते थे। वेदराज की द्वारा दी गई औषधियों से राजा एक समय में कई महिलों के साथ मजा करते थे। 

जहांआरा ने 12 साल की उम्र में लिखी डायरी

शाहजहां की बेटी जहांआरा ने 12 साल की उम्र में सफेद पन्नों की एक डायरी में लिखना शुरू किया। इस डायरी में उन्होंने शाहजहां के हिंदूस्तान के बादशाह बनने से पहले और बाद के समय के बारे में विस्तार से लिखा है।

इसी डायरी में उन्होंने महल के एक हिस्से जिससे हरम कहा जाता था उसका जिक्कर किया है। वो लिखती है कि बादशाह के महल में महिलाओं की अलग ही दुनिया है। इसमें अलग-अलग तरह की महिलाएं रहती हैं।

यहां रानियां, शहजादियां, दासियां, उन्हें प्रशिक्षण देने वाली औरतें, नौकरानियां, बावर्चिन, नर्तकियां, गायिकाएं, धोबिन और चित्रकार समेत रहती हैं।

कहां से पहुंचती थी महिलाएं

यरी में आगे लिखा हैं कि इन महिलाओं पर नजर रखने के लिए दासियों की एक फौज भी तैयार की जाती थीए जो हर पल की जानकारी बादशाह तक पहुंचाती रहती हैं। उन्होंने लिखा है, हरम में मौजूद कुछ महिलाएं शाही परिवार के लोगों से शादी के बाद यहां पहुंची हैं।

लेकिन कुछ सुंदर और सुडोल शरीर वाली महिलाओं पर बादशाह का दिल आ गया और इस वजह से उन्हें हरम का हिस्सा बनना पड़ा है। वहीं कुछ लड़कियों को जवाना हो रहे शहजादों द्वारा चुना गया था। 

बाहरी दुनिया से कट जाती थी महिलाएं

जहांआरा ने  हरम को लेकर एक बात को विशेष तौर पर जिक्र किया है। जिसमें वह लिखती है कि बादशाह की मौज मस्ती के बाद हरम में मौजूद कई महिलाओं ने नन्ही बच्चिं को जन्म दिया और जन्म से ही वह हरम के अंदर ही रही, कभी बाहर नहीं गई।

माना जाता है कि एक बार हरम का हिस्सा हो जाने के बाद बाहरी दुनिया का कोई भी शख्स यहां की महिलाओं का चेहरा नहीं देख सकता है। बाहरी दुनिया के लिए यहां की महिलाएं जिन्न की तरह गायब हो जाती हैं। कुछ दिनों बाद हरम में आई महिलाओं को उनके घर वाले भी भूल जाते थे। 

17 साल में संभाल ली थी हरम की जिम्मेदारी

शाहजहां कि बेटी जहांआरा को उस समय की सबसे शक्तिशाली और समृद्ध महिला माना जाता था। जब उनकी मां की मौत हुई तो वो महज 17 वर्ष की थीं। इस समय मुगल साम्राज्य के हरम का पूरा कार्यभार जहांआरा ने संभाला शुरू कर दिया। हालांकिए उन्होंने दिल्ली में भी महल बनवाए। आपको पता है कि चांदनी चौक का निर्माण भी जहांआरा ने ही करवाया था।