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भारत की इकलौती ऐसी ट्रेन जिसमें बिल्कुल भी किराया नही लगता, जानें कितने साल से free में सफर कर रहे है लोग

पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सीमा पर एक ऐसी ट्रेन भी चलाई जाती है, जिसमें हर रोज करीब 800 लोग मुफ्त में सफर करते है.
 
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free train

Newz Funda, New Delhi  दुनिया का चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क Indian Railways को  माना जाता है। भारत के किसी भी हिस्से में यात्रा करने के लिए ट्रेन की सुविधा आसानी से मिल जाती है। ट्रेन का सफर काफी आरामदायक माना जाता है।

बाकी यातायात के साधनों की तुलना में रेल का सफर बजट में रहता है। ट्रेन में सफर करने के लिए आपको जनरल, स्लीपर, एसी (थर्ड, सेकंड और फर्स्ट) तमाम क्लास के ऑप्‍शन मिल जाते है।

आप अपने बजट और सुविधा के अनुसार उन्हें चुनकर रेलवे का किराया दे सकते है। रेल के सफर में आप के हर सुविधा मिल जाती है। क्या आपने कभी ऐसी ट्रेन के बारे में सुना है, जो आपको बिल्कुल मुफ्त में सफर करवाती हो।

जी हां, इसमें हैरान होने की बात नही है, क्योंकि सच में एक ऐसी ट्रेन है, जिसमें करीब 75 साल से लोग फ्री में यात्रा कर रहे है।  इसके लिए उन्‍हें कोई किराया नहीं देना पड़ता। इस ट्रेन को एक खास रूट पर चलाया जाता है। आज हम आपको फ्री में चलने वाली इस ट्रेन के बारे में बताने जा रहें है।

जानें कहां चलती है ये ट्रेन

हम  भाखड़ा-नंगल ट्रेन की बात कर रहें है। इस ट्रेन को भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (Bhakra Byas Management Board) द्वारा मैनेज किया जाता है। इसे पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सीमा पर भाखड़ा और नंगल के बीच चलाया जाता है। 

भाखड़ा- नंगल बांध दुनियाभर में काफी मशहूर है। ये बांध सबसे ऊंचे स्ट्रेट ग्रैविटी डैम के तौर पर जाना जाता है। दूर-दूर से सैलानी इसे देखने आते है। ये ट्रेन सतलज नदी से होकर गुजर कर शिवालिक पहाड़ियों से होते हुए 13 किलोमीटर की दूरी को तय करती है।  

इस ट्रेन में सफर करने वाले यात्री मुफ्त में यात्रा का लुत्फ उठाते है। जो सैलानी भाखड़ा- नंगल बांध देखने जाते है, उनसे किसी भी तरह का किराया नहीं लिया जाता।

 टीटीई रहित ट्रेन

इस ट्रेन को साल 1948 में शुरू किया गया था, इसमें कोई टीटीई नहीं होता। इस ट्रेन की खासियत है कि इसके कोच लकड़ी के बने हुए है। शुरू में यह ट्रेन स्टीम इंजन के साथ चलती थी, लेकिन बाद में इसे डीजल इंजन से चलाया जाने लगा। 

इस ट्रेन में शुरुआती समय में 10 कोच होते थे, लेकिन वर्तमान में इसमें सिर्फ 3 बोगियां है। इस ट्रेन का रूट पहाड़ों को काटकर डैम तक जाता है, जिसे देखने के लिए हर दिन सैकड़ों सैलानी आते है।

विरासती ट्रेन

इस ट्रेन में हर रोज करीब 800 लोग सफर करते है। इस यात्रा का सबसे ज्यादा लुत्फ स्टूडेंट्स उठाते है। जिस ट्रैक से यह ट्रेन होकर गुजरती है, उस पर तीन टनल और कई स्टेशन है। साल 2011 में BBMB ने वित्तीय घाटे को देखते हुए इस मुफ्त सेवा को रोकने का फैसला किया था।

लेकिन बाद में ये तय किया गया, कि इस ट्रेन को आमदनी का स्रोत न माना जाए, बल्कि इसे विरासत और परंपरा के रूप में देखा जाए। इस भाखड़ा-नांगल बांध को बनाते वक्त रेलवे ने भी काफी मदद की थी। इस बांध का निर्माण कार्य 1948 में शुरू किया गया था।

उस समय इस ट्रेन के जरिए मजदूरों-मशीनों को ले जाने का काम किया जाता था। 1963 में इस बांध को औपचारिक तौर पर खोल दिया गया, तब से सैलानियों द्वारा इस ट्रेन के सफर का मजा लिया जा रहा है।