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भक्त सिर्फ गंगाजल भरने के लिए पैदल कांवड़ लेकर जाते हैं हरिद्वार, क्या कारण है इस मान्यता का ?

रिद्वार के हर की पौड़ी में ब्रह्मकुंड से गंगा जल भरकर भगवान शिव का अभिषेक करना विशेष फलदायी होता है. शिव भक्त हरिद्वार से गंगाजल भरकर अपने-अपने गंतव्य को जाकर भगवान शिव को जल अर्पण करते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.

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भक्त सिर्फ गंगाजल भरने के लिए पैदल कांवड़ लेकर जाते हैं हरिद्वार

Newz Funda, Uttrakhand: उत्तराखंड का हरिद्वार एक विश्व प्रसिद्ध धार्मिक नगर है, जिसे हिंदुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र कहा जाता है. हरिद्वार में जहां साल भर में विशेष पर्व पर लाखों करोड़ श्रद्धालु यहां गंगा स्नान करने और घूमने के लिए आते हैं, वैसे ही कुंभ नगरी हरिद्वार में हर 12 साल बाद महाकुंभ का आयोजन एक बड़े स्तर पर किया जाता है.

ऐसे ही हर साल हरिद्वार में भगवान शिव के निमित्त कांवड़ यात्रा भी होती है. हिंदू कैलेंडर के पांचवें महीने में सावन के शुरू होते ही कांवड़ यात्रा शुरू हो जाती है, जिसमें देश के अलग-अलग राज्यों से शिवभक्त गंगाजल भरने के लिए हरिद्वार हर की पौड़ी आते हैं.

धार्मिक ग्रंथों में हरिद्वार का विशेष महत्व बताया गया है. हरिद्वार के हर की पौड़ी में ब्रह्मकुंड से गंगा जल भरकर भगवान शिव का अभिषेक करना विशेष फलदायी होता है. श्रद्धालु हरिद्वार से गंगाजल भरकर अपने अपने गंतव्य को जाकर भगवान शिव को जल अर्पण करते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.

12 साल बाद लगता है कुंभ का मेला
कांवड़ में हरिद्वार से गंगाजल भरने के महत्व को लेकर हमने पुरोहित कन्हैया शर्मा से बातचीत की. कन्हैया शर्मा ने बताया कि कलयुग में हरिद्वार को प्रधान तीर्थ बताया गया है, जिसमें श्री गंगा जी की प्रधानता है. हरिद्वार में हर 12 साल बाद महाकुंभ का आयोजन हर की पौड़ी ब्रह्मकुंड पर होता है, जहां पर दूर-दूर से श्रद्धालु गंगा स्नान करने के लिए आते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्मा ने यहां हजारों साल तक तपस्या की थी.

गंगा गंगोत्री से लेकर कोलकाता तक जाती हैं लेकिन इस बीच केवल हरिद्वार के गंगाजल की ही मान्यता है. वैज्ञानिकों द्वारा किए गए रिसर्च में हरिद्वार ब्रह्मकुंड के गंगाजल में कोई भी बैक्टीरिया नहीं पनपता है, जिस कारण यहां का जल कभी प्रदूषित नहीं हो सकता है, इसलिए ब्रह्मकुंड से जो जल लिया जाता है, वही भगवान शिव को अर्पित कर उनका अभिषेक किया जाता है, जिससे वह काफी प्रसन्न होते हैं.

रावण ने भी यहीं से भरा था जल
उन्होंने आगे बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रावण ने भी भगवान शिव का अभिषेक करने के लिए हरिद्वार से ही गंगाजल लिया था. पुरोहित कन्हैया शर्मा बताते हैं कि जो जल हरिद्वार के ब्रह्मकुंड से लिया जाता है, भगवान शिव उससे बहुत प्रसन्न होते हैं. इसीलिए हरिद्वार से गंगाजल भरने का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है. हरिद्वार के गंगाजल की कथा कई प्राचीन कथाओं से जुड़ी हुई है.