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देश के पहले निजी रॉकेट Vikram S ने लिखा इतिहास, पहली उड़ान ऐसे हुई कामयाब

देश का पहला निजी रॉकेट Vikram-S श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक उड़ान भरने में कामयाब हो गया है।  
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Newz Funda, Sriharikota देश के लिए अच्छी खबर है। आपको बता दें कि पहली बार वो इतिहास रचा गया है, जिसकी खुशखबरी का वेट हर भारतवासी को था।

यहां निजी स्पेस कंपनी की ओर से निर्मित रॉकेट Vikram-S सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया गया है।

इस उपलब्धि के लिए लगातार बधाइयों का दौर जारी है। इंडियन स्पेस प्रोग्राम को हर ओर से कांग्रेच्यूलेशन मिल रही हैं।

ये कारनामा किया गया है श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से।

जी हां, आज की सुबह ही यानी 18 नवंबर को सुबह 11.30 बजे का पल हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में जगह कर गया है।

बता दें कि हैदराबाद की निजी स्पेस कंपनी स्काईरूट एयरोस्पेस (Skyroot Aerospace) ने ही इस रॉकेट का निर्माण किया था।

जिसके रॉकेट Vikram-S ने उड़ान भरी और जल्द ही इसकी कामयाबी की खबर पूरे देश को लग गई।

यह ध्वनि से भी 5 गुना तेज गति से अपने लक्ष्य यानी अंतरिक्ष की ओर रुख कर गया।

इस टेक्नीक को हाईपरसोनिक स्पीड का नाम दिया जाता है। जिस कंपनी की ओर से बनाया गया है, वह 4 साल पुरानी है।

विक्रम-एस को लॉन्च करने में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO का भी अहम योगदान रहा है।

मिशन को प्रारंभ (Mission Prarambh) के नाम से सफल किया गया है। कंपनी की ओर से बताया गया है कि इस टेस्ट फ्लाइट को लॉन्च विंडो तय कर छोड़ा गया है। 

इनके नाम पर किया गया है नामकरण

बता दें कि इसरो के संस्थापक डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर इस रॉकेट का नाम दिया गया है।

जो भारत के बड़े वैज्ञानिक थे। इसरो चीफ डॉ. एस सोमनाथ ने स्काईरूट कंपनी के मिशन प्रारंभ के मिशन पैच का लोकार्पण भी किया।

खास बात है कि मिशन में दो देसी और एक विदेशी पेलोड्स भी शामिल हैं। इस रॉकेट की हाईट 6 मीटर बताई जा रही है।

इस ऑल कंपोजिट रॉकेट को पहली बार बनाया गया है।

जिसमें थ्रीडी-प्रिटेंड सॉलिड थ्रस्टर्स को इसलिए लगाया गया है ताकि स्पिन कैपिबिलिटी को केयर किया जा सके।  

इन चीजों की हुई है जांच

इसके अलावा ठीक तरह से सफल उड़ान भरे, इसके लिए एवियोनिक्स, टेलिमेट्री, ट्रैकिंग, इनर्शियल मेजरमेंट, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम, ऑनबोर्ड कैमरा, डेटा एक्वीजिशन और पावर सिस्टम की पूरी तरह के पड़ताल की गई है।

मौके से चेन्नई स्थित स्पेस स्टार्टअप SpaceKidz का सैटेलाइट जा रहा है।

इसके अलावा इसमें आंध्रप्रदेश स्थिति N-SpaceTech और आर्मेनिया के BazoomQ Space Research Lab के सैटेलाइट्स को जाने का भी मौका दिया गया है।

SpaceKidz का वजन ढाई किलो है, जिसमें अमेरिका, इंडोनेशिया, सिंगापुर, सेशेल्स और भारत के बच्चों ने हेल्प की है।

FunSAT नाम के इस सैटेलाइट में 80 से ज्यादा पार्ट्स बताए जा रहे हैं।