home page

एक समय में कोच की मोटरसाइकिल पर बेठे-बेठे ही सो जाता था, फिर उधार के बेट से मारा शतक और कटवाया टीम इंडिया का टिकट

वेस्टइंडीज के खिलाफ 5 टी20 की टी20 सीरीज के लिए एक दिन पहले टीम इंडिया का ऐलान हुआ, इसमें दो बाएं हाथ के बैटर्स को जगह मिली. एक यशस्वी जायसवाल और दूसरे हैदराबाद के तिलक वर्मा. तिलक के लिए ये किसी सपने के सच होने जैसा है.
 | 
 उधार के बेट से मारा शतक और कटवाया टीम इंडिया का टिकट

Newz Funda, New delhi: वेस्टइंडीज के खिलाफ 5 टी20 की टी20 सीरीज के लिए एक दिन पहले टीम इंडिया का ऐलान हुआ, इसमें दो बाएं हाथ के बैटर्स को जगह मिली. एक यशस्वी जायसवाल और दूसरे हैदराबाद के तिलक वर्मा. तिलक के लिए ये किसी सपने के सच होने जैसा है. 11 साल की उम्र में शुरू हुआ उनका क्रिकेट सफर 20 साल की उम्र में टीम इंडिया तक पहुंच गया. तिलक को पहली बार भारतीय टी20 टीम में जगह मिली है. आईपीएल 2023 में भी तिलक ने शानदार बल्लेबाजी की थी. रवींद्र जडेजा, रोहित शर्मा जैसे धाकड़ खिलाड़ियों ने पहले ही ये बात कह दी थी कि तिलक टीम इंडिया का भविष्य हैं और आज ये बात सच साबित होती दिख रही.

आईपीएल 2023 में तिलक वर्मा ने 11 मैच में 343 रन ठोके थे. पिछले सीजन में भी उन्होंने शानदार बल्लेबाजी की थी. इसके बाद से ही इस बात की उम्मीद लगने लगी थी कि उन्हें जल्द टीम इंडिया में मौका मिलेगा और अब वो दिन आ गया. तिलक के क्रिकेट करियर की शुरुआत 11 साल की उम्र में हुई थी. टेनिस बॉल क्रिकेट खेलने के दौरान कोच सलाम बायश ने तिलक के टैलेंट को पहली बार पहचाना था. बस, इसके बाद ही उनके क्रिकेट सफर की शुरुआत हुई थी.

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कोच सलाम बायश ने तिलक वर्मा के क्रिकेटर बनने की कहानी साझा की. उन्होंने बताया,"मैंने एक दिन उन्हें टेनिस बॉल क्रिकेट खेलते देखा. मुझे उनकी बैटिंग काफी पसंद आई. इसके बाद मैंने पिता से गुजारिश की कि वो तिलक को क्रिकेट एकेडमी लेकर आए, क्योंकि उसी समय मुझे उनमें बड़ा खिलाड़ी बनने का टैलेंट दिख गया था."

तिलक के पिता पेशे से इलेक्ट्रीशियन थे. आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वो बेटे के क्रिकेट खेलने का खर्चा उठा सकते थे. ऐसे में वो तिलक को एकेडमी भेजने को तैयार नहीं थे. इसके बाद कोच सलाम बायश आगे आए. उन्होंने तिलक की जिम्मेदारी ली और कहा कि वो खुद तिलक को घर लेने और छोड़ने आएंगे. इतना ही नहीं कोच ने फीस भी माफ कर दी थी. यहीं से तिलक के प्रोफेशनल क्रिकेटर बनने के सफर की शुरुआत हुई. क्रिकेट एकेडमी तिलक के घर से 40 किलोमीटर दूर था. लेकिन उन्होंने एक भी दिन ट्रेनिंग मिस नहीं की.

खुद कोच सलाम बायश सुबह 5 बजे तिलक के घर आ जाते थे और अपनी बाइक पर बैठाकर उन्हें क्रिकेट एकेडमी लेकर जाते थे. उस वक्त तिलक की उम्र 11 साल थी. कई बार नींद में होने की वजह से तिलक बाइक पर ही बैठे-बैठे सो जाते थे. तो कोच तिलक को नींद से जगाने के लिए बाइक रोककर पानी से मुंह धो देते थे. कई महीनों तक ऐसा ही चलता रहा. 

शुरुआती दौर में तिलक वर्मा के पास अच्छा बैट तक नहीं था. उन्होंने ऐज ग्रुप क्रिकेट में अपनी पहली सेंचुरी भी उधार के बल्ले से ठोकी थी. इतने संघर्षों के बाद तिलक ने हिम्मत नहीं हारी और वो खेलते रहे. इसके 4 साल बाद उन्होंने विजय मर्चेंट ट्रॉफी में हैदराबाद के लिए 900 से अधिक रन ठोके थे. ये उनके लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुआ. इसी प्रदर्शन के दम पर उन्हें हैदराबाद के रणजी ट्रॉफी के संभावितों में चुना गया. एक साल बाद, 2019 में, उन्होंने हैदराबाद के लिए रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किया और आज टीम इंडिया में मौका मिल गया.