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किरायेदारों को अब किराए के साथ चुकाना होगा 18 प्रतिशत GST, जानें क्यों?

17 जुलाई को जीएसटी परिषद की बैठक में तय हुआ कि अगर कोई व्यक्ति रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी को किराए के लिए लेता है तो उस पर जीएसटी का बोझ भी बढ़ेगा।
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जीएसटी

Newz Funda, New Delhi जीएसटी यानी Goods and Services Tax लागू होने के बाद सरकार ने ट्वीट कर बताया कि अब किसी भी प्रॉपर्टी को किराए पर लेने के  लिए उस व्यक्ति को किराए के साथ जीएसटी भी देना पड़ेगा। अब सवाल यह उठता है जीएसटी किस किस को भरना पड़ेगा।

इस बात के स्पष्ट करते हुए बताया है कि अगर किसी प्रॉपर्टी को अपने निजी  इस्तेमाल के लिए  या किसी फर्म के लिए किराए पर लिया जाता है तो जीएसटी नही भरना  पड़ेगा। यदि किसी संपत्ति को किसी बिजनेस के लिए किराए पर लिया जाता है तो 18 प्रतिशत जीएसटी भरना पड़ेगा।

​​क्या हुआ फैसले का असर

एक्सपर्ट के मुताबिक, 17 जुलाई, 2022 तक जीएसटी सिर्फ कमर्शियल प्रॉपर्टी पर ही लगता था, लेकिन 18 जुलाई से अगर आवासीय संपत्तियों को भी जीएसटी रजिस्टर्ड व्‍यक्ति या कारोबारी को दी जाएगी तो उस पर भी 18 फीसदी जीएसटी देना होगा।

 हालांकि, किरायेदार यह 18 फीसदी जीएसटी रिवर्स चार्ज बेसिस पर देगा और इसका डिडक्‍शन जीएसटी रिटर्न में सेल्‍स पर टैक्स के भुगतान के समय लिया जा सकेगा।

खुद रहना है तो भी देना होगा जीएसटी

अगर कोई व्यक्ति जीएसटी रजिस्टर्ड है और वह आवासीय संपत्ति को खुद के रहने के लिए किराये पर देता है तो भी उसे 18 फीसदी जीएसटी का भुगतान करना होगा। हालांकि, यह रिवर्स चार्ज मेकेनिज्म के तहत होगा और वह इस पर रिफंड क्लेम कर सकता है। 

ऐसे में मकान मालिक पर इसका कोई असर नहीं होगा और उसे किसी भी परिस्थिति में जीएसटी का भुगतान नहीं करना पड़ेगा। चाहे उसका किरायेदार जीएसटी पंजीकृत हो अथवा न हो।

नौकरीपेशा पर इसका क्‍या होगा असर

टैक्‍स मामलों के जानकार बलवंत जैन बताते हैं कि अगर कोई नौकरीपेशा व्यक्ति किराये पर आवासीय संपत्ति लेता है तो उसे जीएसटी का भुगतान नहीं करना होगा। लेकिन,अगर कोई व्यक्ति या संस्‍थान जो जीएसटी में पंजीकृत है, उसे किराये पर आवासीय संपत्ति लेने पर जीएसटी देना होगा.

इतना ही नहीं अगर आवासीय संपत्ति को किसी कारोबारी संस्था ने भी किराये पर लिया है तो उसे भी टैक्स का भुगतान करना होगा। हालांकि, ऐसे में आईटीसी को लेकर पेंच फंस सकता है, जिसे सरकार को और स्पष्ट करना चाहिए

कहां दिखेगा ज्यादा असर

जीएसटी के नए नियम का उन कॉरपोरेट हाउस पर ज्यादा असर दिखेगा, जो अपने कर्मचारियों के लिए किराये पर मकान उपलब्ध कराते हैं। ऐसे पंजीकृत टैक्सपेयर्स को जीएसटी का भुगतान करना होगा, जबकि उनके क्रेडिट क्लेम को लेकर विवाद भी पैदा हो सकता है।

ऐसा इसलिए, क्योंकि इस प्रॉपर्टी का इस्तेमाल पर्सनल यूज के लिए होगा। लिहाजा इंडस्‍ट्री को इस बारे में काफी बारीकी से अपनी योग्यता को आकना चाहिए.