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Bank Loan रिकवरी के लिए बैंक नहीं करेगा परेशान, जानें अपने अधिकार

अगर कोई बैंक ग्राहकों को लोन न चुकाने की स्थिति में धमकाता है तो इसकी शिकायत ग्राहक पुलिस से करके खुद के लिए पेनल्टी...

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लोन

Newz Funda, New Delhi अकसर लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए लोन का सहारा लेते है। लोन को चुकाने के लिए हर महीने  EMI भरनी पड़ती है। अगर ग्राहक फिक्स तारीख तक अपनी किस्त नही चुका पाता तो बैंक वाले डराने धमकाने के लिए अपने  एजेंट भेजते है।

इन एजेंटों को जोर जबरदस्ती का कोई अधिकार नही होता। इसके लिए ग्राहकों को अपने अधिकारों की जानकारी होनी जरूरी होती है। उनके इस व्यवहार के लिए बैंकिंग ओंबड्समैन में शिकायत की जा सकती है।

आइए जानते हैं उन अधिकारों के बारे में-

(1) एक्सपर्ट्स बताते हैं कि अपने कर्ज की वसूली के लिए कर्ज देने वालों बैंक, वित्तीय संस्थान को सही प्रक्रिया अपनाना जरूरी है। सिक्योर्ड लोन के मामले में उन्हें गिरवी रखे गए एसेट को कानूनन जब्त करने का हक है।

हालांकि, नोटिस दिए बगैर बैंक ऐसा नहीं कर सकते हैं. सिक्योरिटाइजेशन एंड कंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल एसेट्स एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट (सरफेसी) एक्ट कर्जदारों को गिरवी एसेट को जब्त करने का अधिकार देता है.

(2) नोटिस का अधिकार- डिफॉल्ट करने से आपके अधिकार छीने नहीं जा सकते और न ही इससे आप अपराधी बनते हैं। बैंकों को एक निर्धारित प्रोसेस का पालन कर अपनी बकाया रकम की वसूली के लिए आपकी संपत्ति पर कब्जा करने से पहले आपको लोन चुकाने का समय देना होता है।

अक्सर बैंक इस तरह की कार्रवाई सिक्योरिटाइजेशन एंड रिस्कंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल एसेट्स एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट्स (सरफेसी एक्ट) के तहत करते हैं।

(3) लोन लेने वाले को तब नॉन- परफॉर्मिंग एसेट NPA यानी डूबे हुए कर्ज में डाला जाता है जब 90 दिनों तक वह बैंक को किस्त का भुगतान नहीं करता है। इस तरह के मामले में कर्ज देने वाले को डिफाल्टर को 60 दिन का नोटिस जारी करना पड़ता है।

(4) अगर नोटिस पीरियड में बॉरोअर भुगतान नहीं कर पाता है तो बैंक एसेट की बिक्री के लिए आगे बढ़ सकते हैं। हालांकि, एसेट की बिक्री के लिए बैंक को 30 दिन और का पब्लिक नोटिस जारी करना पड़ता है। इसमें बिक्री के ब्यौरे की जानकारी देनी पड़ती है।

(5) एसेट का सही दाम पाने का हक एसेट की बिक्री से पहले बैंक/वित्तीय संस्थान को एसेट का उचित मूल्य बताते हुए नोटिस जारी करना पड़ता है। इसमें रिजर्व प्राइस, तारीख और नीलामी के समय का भी जिक्र करने की जरूरत होती है। 

बकाया पैसे को पाने का अधिकार अगर एसेट को कब्जे में ले भी लिया जाता है तो भी नीलामी की प्रक्रिया पर नजर रखनी चाहिए। लोन की वसूली के बाद बची अतिरिक्त रकम को पाने का लेनदार को हक है।  बैंक को इसे लौटाना पड़ेगा।