Relationship tips: जीवन में soulmate का महत्व जाने, इन 5 टिप्स से सही पार्टनर के करें पहचान

Newz Funda, New delhi: दोस्त, परिवार का कोई सदस्य या आपका इंटिमेट पार्टनर, इनमें से कोई भी आपका सोलमेट हो सकता है. ये एक ऐसा इंसान है, जो आपके जीवन में आता है और कुछ ऐसी चीजों को सिखा जाता है, जिसकी आपको सख्त जरूरत थी. जब आप उन चीजों को सीख लेते हैं और जीवन में आगे बढ़ते हैं तो उसका मिशन पूरा हो जाता है. इस तरह कह सकते हैं कि सोलमेट एक ऐसा व्यक्तित्व होता है, जो आपको जीवन में पीछे हटने से रोकता है और आगे बढ़ने के लिए हर संभव प्रयास करता है. वहीं, लाइफपार्टनर एक ऐसा व्यक्तित्व है, जिसके साथ आप पूरा जीवन साथ बिताना चाहते हैं.
अलॉऑफअट्रैक्शन के मुताबिक, एक अच्छी जिंदगी के लिए जीवन में इन दोनों का होना काफी मायने रखता है. आइए जानते हैं कि क्या ये दोनों एक इंसान हो सकता है या इन दोनों के बीच आखिर क्या अंतर है?
सोलमेट और लाइफपार्टनर के बीच का अंतर
जीवन भर का साथ
सिटीमैग्जीन के मुताबिक, जीवन साथी आपके जीवन का हिस्सा बन जाता है और हमेशा आपके साथ खड़ा होता है. वह आपको खुश रखने के लिए और आगे बढ़ने के लिए हमेशा मोटिवेट करता है. इसके लिए वह कई रिस्क भी ले सकता है. जबकि सोलमेट्स आपस में आध्यात्मिक और भावनात्मक रूप से जुड़ाव महसूस करते हैं और बुरे वक्त से बाहर निकालने व जीवन में आगे बढ़ने के लिए बिना किसी स्वेच्छा के एक दूसरे की मदद करते हैं और कुछ सिखा कर चले जाते हैं. यह रिश्ता आश्चर्यजनक रूप से प्योर होता है.
अलग तरह का जुड़ाव
सोलमेट्स के साथ जुड़ाव दिल और दिमाग का होता है. जिसमें इंसान बुरी और अच्छी चीजों को साथ में झेलता है जो जीवन में कई सीख देता है. लेकिन जब सोलमेट कुछ सिखाने के उद्देश्य को पूरा कर लेता है तो उनके बीच का रिश्ता केवल दोस्त भर का रह जाता है और दोनों अपनी जिंदगी में जीने लगते हैं. यह रिश्ता भावनात्मक रूप से जुड़ा होता है. जबकि जब आप किसी के साथ काफी कंफर्टेबल हो जाते हैं और साथ जीवन गुजारने का निर्णय लेते हैं, एक दूसरे के सुख दुख में साथ खड़े रहते हैं तो यह लॉन्ग लास्टिंग रिलेशन लाइफपार्टनर का होता है.
आध्यात्मिक होता है रिश्ता
सोलमेट्स का आपस में काफी डीप कनेक्शन होता है जो एक दोस्त, परिवार या लाइफपार्टनर भी हो सकता है. यह कनेक्शन इतना स्ट्रॉन्ग होता है कि वे आपस की जरूरतों, इच्छाओें और सोच को बिना शेयर किए भी भांप जाते हैं. उन्हें ये सब बताने के लिए बात करने तक की जरूरत महसूस नहीं होती. उनका रिश्ता आध्यात्मिक होता है. जबकि लाइफपार्टनर का रिश्ता रोमांस से भरा होता है.
दोनों का उद्देश्य अलग
सोलमेट्स का उद्देश्य एक बेहतर इंसान बनने में मदद करना होता है, वे जीवन भर का साथ निभाने नहीं आते. जबकि लाइफपार्टनर दो अलग बैकग्राउंस से आते हैं और जीवनभर साथ निभाना ही उनका उद्देश्य होता है.
इमोशनल कनेक्शन और प्रैक्टिकल सपोर्ट
सोलमेट्स के बीच डीप इमोशनल कनेक्शन होता है जो उन्हें एक दूसरे को समझने में मदद करता है. जबकि लाइफपार्टनर्स के बीच प्रैक्टिकल सपोर्ट, जिम्मेदारियों और आपसी अंडरस्टैंडिंग का रिश्ता भी होता है.
क्या लाइफपार्टनर हो सकते हैं सोलमेट्स?
आमतौर पर यह संभव नहीं होता, लेकिन अगर आपका सोलमेट ही आपका लाइफपार्टनर बन जाए तो यह रिश्ता आपके जीवन को आगे बढ़ाने में काफी मददगार साबित हो सकता है. हालांकि उनके बीच विचार, सोच में काफी मदभेद हो सकता है, लेकिन वे साथ शांति से रहने और एक दूसरे को बदलने में काफी मदद करते हैं. माना जाता है कि उनका साथ जीवन में एक अच्छा बदलाव ला सकता है.