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Russia Ukraine: युद्ध में यूक्रेन को हथियार देने पर फ्रांस में सरकार के खिलाफ नागरिकों का प्रदर्शन, बोले- इससे जंग बढ़ेगी, मदद करना है तो रूस को रोकें

लोगों का कहना है कि हथियार देने से जंग बढ़ती जाएगी। अगर सरकार मदद करना चाहती है तो उसे रूस को हमला करने से रोकना चाहिए। लोगों ने यूक्रेन के समर्थन में मार्च करते हुए शांति की मांग की। 
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Newz Funda, New Delhi रूस-यूक्रेन के बीच जंग जारी है। इसी बीच फ्रांस द्वारा यूकेन को जंग के लिए हथियार उपलब्ध करवा रहा है। इस फैसले पर फ्रांस के लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया है।

फ्रांस के पेरिस में हजारों लोग रोड पर आकर प्रदर्शन कर नारेबाजी कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी लोगों के हाथों में बैनर थे। बैनरों पर लिखा था- फॉर पीस (शांति के लिए), नो टु थर्ड वर्ल्ड वॉर। फ्रांस के नागरिकों का कहना है कि रूस-यूक्रेन के बीच बातचीत से हल निकलेगा। फ्रांस के हथियार देने से तीसरे विश्व युद्ध की आशंका बढ़ेगी। 

नारेबाजी कर जताया रोष

फ्रांस में प्रदर्शन कर रहे लोगों ने नारेबाजी कर प्रदर्शन किया। प्रदर्शकारियों का कहना है कि फ्रांस आंख बंद करके अमेरिका का समर्थन करता है। अमेरिका के बाद फ्रांस और अन्य यूरोपीय देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए थे। इनका कोई असर नहीं हुआ। ऐसा क्यों हो रहा है। 

हमलों से रोकना चाहिए

प्रदर्शनकारी लोगों का कहना है कि रूस व यूकेन के बीच जंग जारी है। हथियार देने से जंग बढ़ती जाएगी। अगर सरकार मदद करना चाहती है तो उसे रूस को हमला करने से रोकना चाहिए।

लोगों ने यूकेेन के समर्थन में मार्च करते हुए शांति की मांग की। इसी तरह का मार्च जर्मनी के बर्लिन में भी निकाला गया। वहां, लोगों ने रूस से बातचीत करके मसले का हल निकालने की मांग की।

तीसरे विश्व युद्ध की आशंका बढ़ेगी

प्रदर्शन कर रहे लोगों के हाथ में बैनर थे। इस पर लिखा था- फॉर पीस (शांति के लिए), नो टु थर्ड वर्ल्ड वॉर। उनका कहना है कि रूस-यूक्रेन के बीच बातचीत से हल निकलेगा। फ्रांस के हथियार देने से तीसरे विश्व युद्ध की आशंका बढ़ रही है।

NATO छोड़े फ्रांस : प्रदर्शनकारी

प्रदर्शनकारियों के हाथ में कई बैनर थे। इनमें से एक में लिखा- लेट्स क्विट नाटो। एक प्रदर्शनकारी ने कहा- फ्रांस को नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (NATO) छोड़ देना चाहिए। NATO यूरोप और उत्तरी अमेरिकी देशों का एक सैन्य और राजनीतिक गठबंधन है।

इसमें अमेरिका का ज्यादा दबदबा है। प्रदर्शकारियों का कहना है कि फ्रांस आंख बंद करके अमेरिका का समर्थन करता है। अमेरिका के बाद फ्रांस और अन्य यूरोपीय देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए थे। इनका कोई असर नहीं हुआ।