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मस्जिद के नीचे मंदिर! श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद क्या है, जानें क्या है ये हिंदु- मुस्लिम का मामला

मथुरा के सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत ने शाही ईदगाह के सर्वे का आदेश दिया है. बता दें कि सिविल कोर्ट ने विवादित स्थल का सर्वे कर 20 जनवरी तक रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है. इस फैसले पर मुस्लिम पक्ष ने नाराजगी दिखाते हुए सुप्रिम कोर्ट में जाने का फैसला लिया है.

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Newz Funda, New Delhi मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद में जिला कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है. मथुरा के सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत ने शाही ईदगाह के सर्वे का आदेश दिया है. 

हिंदू पक्ष की अपील पर सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत ने ये आदेश दिया है. इस आदेश के बाद जहां हिंदू पक्ष में खुशी का माहौल है, वहीं मुस्लिम पक्ष ने सवाल खड़े किए हैं. मुस्लिम पक्ष का कहना है कि उन्हें आदेश की जानकारी मीडिया के जरिए मिली, इसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट का रूख करने की तैयारी कर रहे हैं.

वहीं, हिंदू पक्ष दावा कर रहा है कि शाही ईदगाह में स्वास्तिक का चिह्न हैं, मस्जिद के अंदर कई मंदिर होने के प्रतीक हैं. साथ ही मस्जिद के नीचे भगवान का गर्भ गृह है और शाही ईदगाह में हिंदू स्थापत्य कला के सबूत मौजूद हैं.

हिंदू पक्ष चाहता है कि वैज्ञानिक तरीके से पुष्टि की जाए, जिसे लेकर करीब एक साल पहले याचिका दाखिल की गई थी. जिसमें वीडियोग्राफी की मांग की गई. वहीं दूसरा पक्ष कह रहा है कि उसे इस मुकदमे की कोई जानकारी नहीं थीं. मुस्लिम पक्ष अब मामले में सुप्रीम कोर्ट का रूख करने की तैयारी कर रहा है. जो इस पूरे आदेश को गलत बता रहा है.

कोर्ट ने क्या कहा है आदेश में?

आदेश में कहा गया है कि सर्वे 2 जनवरी से होगा. इसकी रिपोर्ट 20 जनवरी तक कोर्ट को सौंपनी होगी. सिविल कोर्ट ने इस मामले से भी जुड़े सभी पक्षों को नोटिस भी जारी किया है. 

कोर्ट ने वादी विष्णु गुप्ता की अपील पर अमीन से भी रिपोर्ट मांगी है. ये याचिका 13.37 एकड़ भूमि को मुक्त कराने की मांग को लेकर दायर की गई थी.

9 जनवरी को किस मामले पर सुनवाई?

9 जनवरी को पूजा स्थल कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है. उस सुनवाई में ही मुकदमे से जुड़े 10 कानूनी बिंदु तय होंगे. यानी ये तय होगा कि सुनवाई किन मसलों पर होगी. वहीं, कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया तो हिंदू पक्ष में खुशी की लहर दौड़ गई. मथुरा में मिठाइयां बांटी गई, लिहाजा हिंदू पक्ष के लोगों को उम्मीद है सर्वे में फैसला उनके पक्ष में आएगा.

क्या कहा गया है हिंदू पक्ष की याचिका में 

हिंदू पक्ष की याचिका में कहा गया है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन पर औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर ईदगाह मस्जिद बनवाई थी. हिंदू पक्ष ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से लेकर मंदिर बनने तक का पूरा इतिहास अदालत के सामने पेश किया. वहीं 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ बनाम शाही ईदगाह के बीच हुए समझौते को भी अवैध बताते हुए इसे खत्म किए जाने की मांग की.

कब हुआ शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण?

शाही ईदगाह मस्जिद मथुरा शहर में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर से सटी हुई है. इस जगह को हिंदू धर्म में भगवान कृष्ण की जन्मस्थली माना जाता है. दावा किया जाता है कि औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्मस्थली पर बने प्राचीन केशवनाथ मंदिर को नष्ट कर 1669-70 में शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया था.

13.37 एकड़ जमीन का स्वामित्व किसे मिला था?

1935 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 13.37 एकड़ की विवादित भूमि बनारस के राजा कृष्ण दास को अलॉट कर दी थी. 1951 में श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने ये भूमि अधिग्रहीत कर ली थी. ये ट्रस्ट 1958 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और 1977 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के नाम से रजिस्टर्ड हुआ. 

1968 में श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह कमेटी के बीच हुए समझौते में इस 13.37 एकड़ जमीन का स्वामित्व ट्रस्ट को मिला और ईदगाह मस्जिद का मैनेजमेंट ईदगाह कमेटी को दे दिया गया. इसके बाद लगातार ये मामला जंग का अखाड़ा बना हुआ है. जहां हिंदू पक्ष के लिए कोर्ट की ओर से बड़ी राहत आई है, लेकिन मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है.

ये बोले AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी 

AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बाबरी मस्जिद के फैसले के बाद मैंने कहा था कि यह संघ परिवार की शरारतों को बढ़ावा देगा. वहीं, मथुरा कोर्ट ने शाही ईदगाह परिसर के अंदर सबूतों की जांच के लिए कमिश्नर भी नियुक्त कर दिया है. 

यह तब है, जब मस्जिद और मंदिर विवाद को हल करने के लिए एक लिखित समझौता हुआ है. उन्होंने कहा कि कृपया गिव एंड टेक का प्रचार न करें, वो भी तब जब एक पक्ष मुसलमानों को लगातार निशाना बनाने में रुचि रखता हो.