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Election Commissioner Arun Goyal के मामले में Supreme Court की टिप्पणी, क्या जल्दबाजी में ही...

यहां बात चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की हो रही है। जिनकी फाइल पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी आई है। 

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Newz Funda, New Delhi चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में उनकी फाइल को पेश कर दिया गया है।

इस मामले में पूरी फाइल को देखने के बाद केंद्र सरकार से शीर्ष कोर्ट की ओर से पूछा गया है कि क्या मामले में कोई जल्दबाजी की गई है।

आपको बता दें कि सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की ओर से केंद्र सरकार से मामले में फाइल के बारे में तलबी की गई थी। जिसके बाद फाइल को पेश किया गया है।

अदालत ने कहा था कि आखिर जब चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया में सुधार की मांग वाली याचिकाओं पर जब सुनवाई चल रही है, तब अरुण गोयल को नियुक्ति क्यों मिली?

इस पर केंद्र सरकार के वकील ने विरोध भी किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यदि नियुक्ति प्रक्रिया में कुछ भी गलत नहीं है तो चिंता की बात क्या है।

फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है। याचिकाओं में मागं की गई थी कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक स्वतंत्र पैनल का गठन होना चाहिए, जिसमें सरकार का दखल न रहे।

पिछले तीन दिन से चल रही है सुनवाई
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में बीते तीन दिनों से चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में सुधार और सरकार का दखल खत्म करने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई है।

मंगलवार को अदालत ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर ही सवाल उठा दिया था।

जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की बेंच ने कहा था कि चुनाव आयोग कैसे पीएम के खिलाफ ऐक्शन ले सकता है, जिसकी नियुक्ति ही सरकार ने की हो।

यही नहीं चुनाव आयुक्तों के चयन में चीफ जस्टिस की सदस्यता वाली कमेटी के भी गठन का सुझाव दिया था।

इस पर केंद्र सरकार ने आपत्ति जताते हुए शीर्ष अदालत को ही उसकी लक्ष्मण रेखा याद दिलाई थी।

इस मामले को बताया गया है गलत
केंद्र सरकार ने न्यायपालिका से जुड़े शख्स को नियुक्ति में शामिल करने के सुझाव पर कहा कि ऐसा करना गलत होगा।

सरकार ने कहा कि यह कहना पूरी तरह से गलत है कि चीफ जस्टिस यदि नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल हो जाएं तो व्यवस्था सुधर जाएगी।

अटॉर्नी जनरल ने कहा कि चुनाव आयुक्तों को मनमाने ढंग से नहीं चुना जाता।

वरिष्ठता के आधार पर इन लोगों का चयन होता है और यदि शीर्ष अदालत को कोई अयोग्य लगता है तो वह उसकी नियुक्ति को रद्द कर सकती है।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कोई योग्यता ही तय नहीं है।