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दिल्ली में मेंयर की रेस में नंबर गेम AAP के पक्ष में, उलझे समीकरण में जीत की संभावनाएं देख रही BJP

दिल्ली के मेयर, डिप्टीमेयर और स्टैंडिंग कमेटी के 6 सदस्यों के लिए बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच सीधा मुकाबला है. मेयर के लिए आम आदमी पार्टी से शैली ओबेरॉय और बीजेपी से रेखा गुप्ता चुनावी मैदान में उतरी हैं.
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Delhi election

Newz Funda, New Delhi दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के छह सदस्यों के लिए आज शुक्रवार को चुनाव है, जिसके लिए सिविक सेंटर में सुबह 11 बजे से मतदान होगा.

आम आदमी पार्टी से मेयर पद के लिए शैली ओबेरॉय और डिप्टी मेयर के लिए आले मोहम्मद इकबाल मैदान में हैं. वहीं, बीजेपी से मेयर के लिए रेखा गुप्ता और डिप्टी मेयर के लिए कमल बागड़ी किस्मत आजमा रहे हैं. 

मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव से कांग्रेस  ने खुद को बाहर रखने का फैसला किया है. ऐसे में बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच सीधा मुकाबला है. एमसीडी में आम आदमी पार्टी के पास बहुमत का आंकड़ा है, जिसके दम पर मेयर और डिप्टी मेयर बना सकती है. बीजेपी ने अपने उम्मीदवार को उताराकर चुनाव को रोचक बना दिया है, लेकिन मेयर बनाने के लिए नंबर कैसे जुटाएगी. 

दिल्ली के मेयर और डिप्टी मेयर पद के चुनाव में पार्षद अपनी इच्छा अनुसार किसी भी पार्टी के उम्मीदवार को वोट दे सकते हैं और दूसरी पार्टी के उम्मीदवार को वोट करने पर उन पर कोई कार्रवाई भी नहीं की जा सकती. ऐसे में क्रास वोटिंग की भी संभावना है. माना जा रहा है कि बीजेपी इन्हीं सारे समीकरण को देखते हुए बहुमत का आंकड़ा न होने के बावजूद चुनाव के मैदान में उतरी है. 

एमसीडी का समीकरण

बता दें कि नगर निगम एकीकरण के बाद पहली बार 250 वार्डों में हुए चुनाव में आम आदमी पार्टी के 134 पार्षद चुनकर आए हैं जबकि बीजेपी के 104 पार्षद ही जीते हैं. वहीं, कांग्रेस पार्टी को महज 9 सीटों पर जीत हासिल हुई और तीन सीटों पर निर्दलीय जीते हैं. 

दिल्ली एमसीडी में मेयर चुनाव के लिए 250 पार्षद, दिल्ली के सात लोकसभा सांसद, तीन राज्यसभा सदस्य, विधानसभा के 14 विधायक मतदान करेंगे. इस तरह से कुल 274 सदस्य मतदान कर सकते हैं, जिसके लिहाज से मेयर सीट जीतने के लिए 137 वोट हासिल चाहिए. आम आदमी पार्टी के पास बहुमत के लिए पूरा नंबर गेम है जबकि बीजेपी नंबर गेम में काफी पीछे दिख रही है. 

एमसीडी के मेयर चुनाव में कुल 274 सदस्य मतदान में हिस्सा लेते हैं, जिस उम्मीदवार को बहुमत हासिल होगा, उसे दिल्ली का मेयर घोषित किया जाएगा. हालांकि, मेयर के चुनाव के समय मतदान के ठीक पहले भी पीठासीन अधिकारी उम्मीदवारों को अपना नाम वापस लेने की छूट देते हैं, इसलिए मेयर पद के लिए चुनाव होगा या नहीं, यह बिल्कुल अंतिम क्षणों में ही तय होगा. मेयर के चुनाव के बाद डिप्टी मेयर और  स्थाई सदस्यों का चुनाव भी होगा. 

AAP-BJP में कौन कितना ताकतवर?

आम आदमी पार्टी के पास एमसीडी में 134 पार्षद, तीन राज्यसभा सदस्य और 13 विधायकों को मिलाकर 150 सदस्य होते हैं. वहीं, बीजेपी के पास 104 पार्षद हैं और एक निर्दलीय पार्षद भी साथ में है. इस तरह उसका आंकड़ा 105 पर पहुंच गया है. इसके अलावा बीजेपी के सात सांसद और एक विधायक को वोट मिलकर पार्टी 113 के आंकड़े पर पहुंच रही है. वहीं कांग्रेस के 9 पार्षद और निर्दलीय दो पार्षद हैं. 

कांग्रेस के दांव से किसे फायदा किसे नुकसान

मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव से खुद को बाहर कर लिया है. दिल्ली कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी ने कहा, 'कांग्रेस के निगम पार्षद सिविक सेंटर में होने वाले मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी सदस्य के चुनाव में भाग नहीं बनेगी.' ऐसे में कांग्रेस के पार्षद वोटिंग में हिस्सा नहीं लेते हैं तो फिर मेयर पद के लिए नंबर गेम बदल जाएगा.

कांग्रेस का यह कदम बीजेपी के लिए झटके की तरह है तो आम आदमी पार्टी के हित में दिख रहा है. कांग्रेस के बाहर होने के बाद मेयर के लिए कुल 265 सदस्य वोटिंग में हिस्सा लेंगे. ऐसे में मेयर के लिए 133 वोटों का समर्थन चाहिए. आम आदमी पार्टी के पास 150 वोट है जबकि बीजेपी के पास 113 है.

ऐसी स्थिति में बीजेपी के जीतने की संभावना तभी बनती है जब आम आदमी पार्टी के कम से कम डेढ़ दर्जन पार्षद क्रास वोटिंग करें और निर्दलीय पार्षद बी उसके साथ आ जाए. बीजेपी को इतनी बड़ी संख्या में क्रास वोटिंग करना मुश्किल लग रहा है, लेकिन किसी तरह की कानूनी बंदिश न होने के चलते क्रास वोटिंग का डर भी सता रहा है. 

नगर निगम चुनाव के बाद से ही बीजेपी दिल्ली में अपना मेयर बनाने का दावा करती रही है. एमसीडी में बहुमत का आंकड़ा नहीं होने के बाद भी बीजेपी ने जिस तरह से अपने कैंडिडेट उतारे हैं, उससे सियासी कयास लगाए जा रहे हैं.

मेयर का चुनाव एक गुप्त मतदान के माध्यम से होता है और पार्षद किसी भी उम्मीदवार को वोट देने के लिए स्वतंत्र होते हैं, क्योंकि दलबदल विरोधी कानून इस पर लागू नहीं होता है.

ऐसे में बीजेपी अगर आम आदमी पार्टी के कुछ पार्षदों को साधने में सफल रहती है तो सियासी खेल पूरी तरह से पलट जाएगा. ऐसे में देखना है कि बीजेपी क्या गुल खिलाती है और आम आदमी पार्टी पहली बार अपना मेयर बनाने में सफल होती है?