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दो चरणों में संपन्न होंगे Bihar निकाय चुनाव, घोषणा के बाद Supreme Court और सरकार में फंसे हैं ये पेंच

बिहार में होने वाले निकाय चुनाव की तस्वीर साफ हो गई है।

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Newz Funda, New Delhi आपको राजनीति से जुड़ी खास खबर से रूबरू करवा रहे हैं। बिहार में निकाय चुनाव की घोषणा के बाद भी सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच पेंच फंसा दिख रहा है।

शीर्ष न्यायालय की ओर से अति पिछड़ा आयोग के गठन पर प्रश्न उठाए गए हैं। घोषणा के तहत राज्य में दो चरणों में चुनाव कराए जाने हैं। वहीं, बिहार में राज्य निर्वाचन आयोग के द्वारा नगरपालिका चुनाव की घोषणा कर दी गई है।

दो चरणों में चुनाव कराए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट में अतिपिछड़ों की राजनीतिक पिछड़ेपन की पहचान तय करने के लिए अतिपिछड़ा आयोग के गठन को चुनौती देने वाली याचिका पर बड़ा फैसला आया है।

कोर्ट ने इसे लेकर सख्त टिप्पणी की है और राज्य सरकार से इसे लेकर जवाब भी मांगा है।

ये है शीर्ष न्यायालय का नया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने अति पिछड़ा आयोग के गठन को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई के बाद महत्वपूर्ण आदेश जारी किये हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने अति पिछड़ा वर्ग आयोग(सुप्रीम कोर्ट के आदेश में आर्थिक पिछड‍़ा वर्ग आयोग) को डेडिकेटेड कमीशन के रूप में अधिसूचित किये जाने के आदेश पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से चार सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है।

अति पिछड़ा आयोग की रिपोर्ट
मालूम हो कि बिहार सरकार ने अति पिछड़ा आयोग को डेडिकेटेड कमिशन के रूप में अधिसूचित किया था, जिसने करीब 51 हजार सैंपल के जरिये अति पिछड़ों की राजनीतिक, समाजिक व आर्थिक स्थिति को लेकर अपनी रिपोर्ट तैयार की है।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत व न्यायाधीश जेके महेश्वरी की खंडपीठ ने सुनील कुमार की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करके अब आदेश पारित किया है।

कोर्ट ने सुनवाई की तिथि अब चार सप्ताह के बाद निर्धारित की है और संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है।

याचिकाकर्ता की वकील मीनाक्षी अरोड़ा का कहना है कि बिहार सरकार ने निकाय चुनाव में पिछड़ों को आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन नहीं किया है। अति पिछड़ा वर्ग आयोग से आरक्षण के लिए रिपोर्ट तैयार करवाना गलत है।

जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिहार में बनाये गये अति पिछड़ा वर्ग आयोग को एक डेडिकेटेड कमीशन नहीं माना जा सकता।

बता दें कि हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में डेडिकेटेड कमीशन बनाने के बाद ही चुनाव कराने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है।

तो रिपोर्ट वैध नहीं मानी जाएगी
सुप्रीम कोर्ट ने अपने नये आदेश में इकोनॉमिकली बैकवर्ड क्लास कमीशन(आर्थिक पिछड़ा वर्ग आयोग ) को डेडिकेटेड कमीशन के रूप में मान्यता नहीं देने की बात कही है। हालाकि बिहार में इस तरह का कोई आयोग अस्तित्व में नहीं है। इधर सांसद सुशील मोदी का कहना है कि ऑर्डर टाइप करने में ये चूक मात्र है। फिलहाल अब यदि सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के बनाये गये अतिपिछड़ा आयोग को डेडिकेटेड कमीशन नहीं माना तो आयोग के द्वारा आरक्षण को लेकर सौंपी गयी रिपोर्ट वैध नहीं मानी जाएगी।