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मूंग की ये हैं उन्नत किस्में, इन किस्मों की बिजाई कर किसान हो सकते हैं मालामाल

मूंग की यह उन्नत किस्म लगभग 60-70 दिन में पककर तैयार हो जाती है. वहीं, लगभग 8-10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिल जाता है. मुस्कान, सत्या, बसंती, एमएच 421 किस्म व अन्य किस्मों की खासियत यह है कि...

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moong

Newz Funda, New Delhi मूंग खरीफ की दलहनी फसल है। इसकी अच्छी किस्मों की बिजाई कर किसान मालामाल हो सकते हैं। जो किसान धान की बिजाई करना चाहते हैं। वह मूंग की बिजाई कर सकते हैं क्योंकि मूंग की कई किस्में बहुत ही कम समय में तैयार होती है। इन किस्मों से अधिक उत्पादन लिया जा सकता है। 

ये हैं महत्वपूर्ण किस्में

मूंग की मुस्कान किस्म

यह मुस्कान किस्म एमएच 96-1 के नाम से भी जानी है। यह किस्म खरीफ मौसम में आम काश्त के लिए साल 2002 में अनुमोदित की गई थी। इसकी खास बात ये भी है कि यह पीले पत्ते वाले मोजैक वायरस रोग के लिए अवरोधी है। दाना इसका मध्यम, चमकीला व हरे रंग का होता है।

जवाहर मूंग-3

मूंग की यह उन्नत किस्म ग्रीष्म व खरीफ दोनों सीजन के लिए उपयुक्त है. वहीं, इस किस्म की फलियां गुच्छों में लगती हैं. इसके एक फली में लगभग 8-11 दाने होते हैं, जबकि 100 दानों का वजन 3.4-4.4 ग्राम होता है. इसके अलावा इस किस्म में पीला मोजेक और पाउडरी मिल्ड्यू रोग नहीं लगते हैं.

मूंग की सत्या कस्म

इस सत्या किस्म के हरियाणा व राजस्थान के सभी क्षेत्रों में खरीफ मौसम में उगाया जा सकता है। पुरानी किस्मों की तुलना में इसकी पैदावार अधिक होती है। यह लंबी बढऩे वाली किस्म है। इसकी फलियां सीधी एवं दाने चमकदार हरे रंग के हैं। यह किस्म सभी बीमारियों की अवरोधी है। 

मूंग की खेती कैसे करें (Mung Bean Farming in Hindi)

मूंग की फसल के लिए उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और तापमान (Moong Cultivation Suitable soil, Climate and Temperature) मूंग की खेती को किसी भी मिट्टी में किया जा सकता है, किन्तु बलुई दोमट मिट्टी को इसकी फसल के लिए काफी उपयुक्त माना जाता है.

जल-भराव वाली भूमि में इसकी खेती को नहीं करना चाहिए, क्योकि जल-भराव से इसके पौधों के नष्ट होने का खतरा बढ़ जाता है. इसकी खेती में भूमि का P.H. मान 6 से 7.5 के मध्य होना चाहिए.

मूंग की फसल को खरीफ और रबी दोनों ही मौसम में की जा सकती है. इसे किसी खास जलवायु की आवश्यकता नहीं होती है. इसकी फसल के लिए सामान्य तापमान की आवश्यकता होती है. इसके पौधे अधिकतम 40 डिग्री तापमान को ही सहन कर सकते है.