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गेंहू की ये 5 किस्मे जो 3500 रू. प्रति क्विंटल से ज्यादा बिकती है, जानिए कैसे

भारत देश में चावल के बाद गेहूं दूसरे नं. पर आता है. इसलिए किसान गेहूं की खेती सबसे अधिक करता है. गेहूं की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि वैज्ञानिक नई नई तकनीकों से तरह तरह की किस्मों को तैयार करते है.
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Newz Funda, New Delhi भारत देश में गेहूं की खेती उपज करने में प्रमुख राज्य हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश को सबसे आगे माना जाता है. देश का हर नागरिक किसान चाहता है कि वह अपनी फसल से बहुत अधिक मुनाफा कमाए.

गेंहू की 5 किस्में 

1. शरबती गेहूं (C-306) की वैरायटी

भारत देश में सबसे अधिक मुनाफा देनी वाली फसल की बात करें तो सबसे पहले नं. पर शरबती गेहूं को माना जाता है. शरबती गेंहू को गोल्डन व प्रीमियम नाम से जाना जाता है, क्योंकि इस गेंहू का रंग सुनहरा होता है. 

शरबती गेंहू खाने में मीठा और स्वादिष्ट होता है. इसके साथ साथ इस गेहूं में दूसरे गेहूं की बजाए सुक्रोज व ग्लूकोज शर्करा की मात्रा अधिक होती है. यह गेहूं काली और जलोढ़ मिट्टी में ज्यादा पैदावार देती है. 

शरबती गेंहू की विशेषता व गुण

शरबती गेंहू के दाने गोल मटोल और चमकीले होते हैं ये चमक रासायनिक पोटास पदार्थ से होती है. सामान्य गेहूं कि तुलना में शरबती गेहूं मीठा और स्वादिष्ट होने के साथ साथ इस आटे से बनी रोटियां भी सोफ्ट और ताजा जैसी रहती है.

पोटास की मात्रा अधिक होने के कारण शरबती गेहूं का दाना वजनदार होता है. जिसकी वजह से दाने को हाथ में लेने पर वजन का ऐहसास होता है. शरबती गेहूं का रंग सुनहरी व दाना गोल मटोल होता है.

बाजार में चक्की का महंगा आटा शरबती गेहूं का बना होता है. इस गेहूं की खेती प्राकृतिक तरीके से की जाती है इसमें किसी प्रकार का केमिकल पेस्टिसाइड यूरिया, डीएपी का प्रयोग नहीं किया हुआ होता है.

शरबती गेहूं का रेट मंडी में न्यूनतम रेट 4000 से लेकर 5000 रू. दाम तक बिकता है. जिससे हर किसान को अच्छा पैसा मिलता है.  

2. पूर्णा गेंहू (HI-1544) की वैरायटी 

पूर्णा गेहूं वर्तमान समय में सबसे आगे था. इस गेहूं का स्वाद बाजार के खाद्य उत्पादों में से एक है. पूर्णा गेंहू के उत्पाद का प्रयोग बड़ी बड़ी कंपनियों में  किया जाता है. 

इस गेंहू के तरह तरह के खाद्य पदार्थ तैयार किये जाते हैं, जैसे- मेदा, पास्ता, बिस्किट, ब्रेड आदि और इनको देश विदेश में बेचा जाता है. पूर्णा गेहूं का दाना आकार में बड़ा होता है और इसके दाने का वजन 40 से 42 ग्राम तक होता है. इसके पौधे की लम्बाई 100 सेंटीमीटर तक होती है. पूर्णा गेंहू को 4-5 सिंचाई देनी होती है.

गेंहू पूर्णा (HI-1544) की विशेषता व गुण

पूर्णा गेहूं के आटे की रोटियां बहुत ही अच्छी बनती है. इस गेहूं से बनी रोटियां जल्दी पचने वाली व प्रोटीन एवं ग्लूकोज से भरपूर होती है. जो हमारी सेहत के लिए अच्छी व फायदेमंद होती है.

भारत देश में शहरों की बड़ी बड़ी कंपनियां इस आटे से पास्ता, डबल रोटी और तरह तरह के बिस्किट बनाकर अलग अलग देशों में बेच रही है. जिससे पूर्णा गेहूं की मांग और बढ़ जाती है. 60 कुंटल प्रति एकड़ तक इस गेहूं की पैदावार होती है.

इस प्रकार के बीज की फसल जल्दी पककर तैयार हो जाती है, करीब 110 से 120 दिनों में, इसका बीज रोग-कीटनाश्क के प्रति सहनशील होने के कारण, इसमें रोग भी कम पाए जाते हैं
पूर्णा गेहूं की खेती पूरे भारत में की जाती है. इसकी कीमत की बात करें तो ये मंडी में 2500रू. से लेकर 3500 रू. प्रति क्विंटल तक बिकती है.

3. लोकवन गेंहू की वैरायटी

आजकल भारतीय खाने में रोटियां और चपाती ही ज्यादा मिलती है. लोकवन गेहूं को भोजन में अच्छा माना जाता है. इसकी रोटियां विटामिन व खनिज के साथ साथ कार्बोहाइड्रेट से भरपूर मिलती है.

लोकवहन गेहूं कम सिंचाई से तैयार होने वाली रबी की फसल है, जिसका दाम भी अच्छा रहता है. तो आपको लोकवहन की खेती से दो फायदे होते हैं, एक पानी की कम आवश्यकता औऱ दूसरी अन्य फसलों से ज्यादा पैदा होती है.

लोकवन गेंहू की विशेषता व गुण

लोकवन गेहूं की फसल को बड़ी बड़ी कंपनियां खरीदना पसंद करती है. लोकवन गेहूं के आटे से बिस्किट, पास्ता, मैदा बहुत ही स्वादिष्ट और पोष्टिक बनते हैं.

लोकवन गेहूं के बीज का रंग चमकीला और सुनहरा होता है. इस किस्म का दाना वजनदार होता है.

सामान्य गेहूं की बजाये लोकवन गेहूं की पैदा अधिक होती है. इस प्रकार की फसल की खेती दक्षिणी गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान के कुछ हिस्सों में की जाती है.

इसमें अधिक मात्रा में ग्लूटेन पाया जाता है, जिससे बड़ी चपाती को पतली बेलना आसान होता है. इससे सादे व भरवां परांठे भी बनाये जाते हैं.

इसके दाम की बात करें तो मंडी में इसका रेट 2200रू. से लेकर 3200 तक बिकता है.

4.पूसा अहिल्या (Hi-1634) की वैरायटी

पूसा अहिल्या को मध्यप्रदेश में तैयार किया जाता है. यह एक नयी वैरायटी तैयार होकर आई है. पूसा गेहूं को पकने में 115 दिन लगते है. इस फसल को  पहले साल इंदौर में और दूसरे साल इंदौर के साथ साथ नर्मदापूरम, जबलपुर और सागर केंद्रों पर पलॉट डालकर रिसर्च की थी.

रिसर्च करने के बाद यह पाया गया कि अधिक तापमान में भी यह गेहूं समय से पहले नहीं पकता है. इस किस्म के गेहूं का आकार आयताकार होता है. इस बीज में जिंक  44.4 पीपीएम , आयरन 35.7 पीपीएम और प्रोटीन 11.3 % के साथ साथ बायोफोर्टिफाइड की भी मात्रा पाई जाती है.  

पूसा अहिल्या (Hi-1634) की विशेषता व गुण

पूसा अहिल्या की फसल अधिक गर्मी में भी सूखती नहीं है. जिससे अधिक गर्मी में भी फसल जलने, पैदा कम होने व दाने बिखरने का डर नहीं रहता है.

पूसा अहिल्या के गेहूं से चपाती और ब्रेड़ बिल्कुल मुलायम बनती है, क्योंकि इसमें प्रोटीन होता है.

इस नये किस्म के बीज की वैरायटी से अधिक तापमान में भी 70 क्विंटल प्रति एकड़ पैदा ली गई है.

इस किस्म की फसल का भाव मंड़ी में 2500-3500 रू. क्विंटल है.

पूसा अहिल्या का बीज खरीदने के लिए आप आईसीएआर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान क्षेत्रीय स्टेशन, इंदौर पर कॉल करके इस बीज को खरीद सकते हैं

5. करण वैष्णवी (DBW-303) की वैरायटी

करण वैष्णवी की वैरायटी को बेस्ट वैराईटीज ऑफ व्हीट पराइस 2023 के नाम से जाना जाता है. इस किस्म को उत्तर पश्चिमी क्षेत्र के लिए उपयुक्त माना जाता है. आप भी इस किस्म की फसल की खेती बोकर अच्छी फसल पैदा कर सकते हैं.

इससे आपको अच्छी बचत भी होती है. इस किस्म की वैरायटी को जौ अनुसंधान करनाल ने तैयार किया था. इस वैरायटी के आटे की रोटियां भी अच्छी और सेहतमंद होती है.

करण वैष्णवी (DBW-303) की विशेषता व गुण

इस फसल की बुआई अगेती भी की जा सकती है, इसका समय 25 अक्टूबर से 5 नवंबर का होता है. इसके बीच अगर आप बुआई करते हैं तो आपको फसल की अच्छी पैदा होती है
करण वैष्णवी की फसल 145 से 156 दिन में पककर तैयार हो जाती है.

इसकी फसल में 70 से 80 दिन में ही बाल आ जाती है. इसकी औसत पैदा 81.2 क्विंटल प्रति एकड़ और अधिकतम औसत पैदा 97.4 क्विंटल प्रति एकड़ ले सकते हैं.

इस किस्म के आटे से बनी रोटियां स्वादिष्ट होने के साथ साथ सेहतमंद भी होती है. करण वैष्णवी गेहूं में जिंक 42 पीपीएम, प्रोटीन 12 पीपीएम और आयरन 43 पीपीएम की मात्रा पाई जाती है.

इस वैरायटी को 2021 के साल में जारी किया गया था. इस किस्म की खेती से अधिक से अधिक फसल पैदा करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

रेट की बात करें तो यह मंड़ी में इसका भाव 2500 से 3500 रू. प्रति क्विंटल के हिसाब से बिकता है.