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प्रधानमंत्री मोदी ने खाद वितरण के लिए बनाया पोर्टल, अब किसानों को नहीं लगानी होगी लंबी लाइन

पीएम मोदी का डिजिटल इंडिया करने का सपना हरियाणा सरकार बखूबी निभाते हुए नजर आ रही है. अब हरियाणा सरकार ने किसानों को खाद पोर्टल के जरिए देने का फैसला लिया है, जिसके लिए यमुनानगर को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुना गया है.
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प्रधानमंत्री मोदी ने खाद वितरण के लिए बनाया पोर्टल...

Newz Funda, Chandigarh: पीएम मोदी का डिजिटल इंडिया करने का सपना हरियाणा सरकार बखूबी निभाते हुए नजर आ रही है. अब हरियाणा सरकार ने किसानों को खाद पोर्टल के जरिए देने का फैसला लिया है, जिसके लिए यमुनानगर को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुना गया है. पहले से ही किसान ‘मेरा फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर रजिस्टर्ड हैं, तो जैसे ही उनकी फसल खरीदी जाती है, वैसे ही जमीन के हिसाब से खाद का वितरण किया जाएगा.

बता दें कि खाद के लिए किसान लंबी-लंबी कतारों में लगते थे, फिर भी बिना खाद लिए ही घर वापस लौटना पड़ता था. यहां तक की थानों में पुलिस की निगरानी में खाद बेची गई थी. लेकिन अब सरकार की तरफ से पोर्टल के माध्यम से खाद का वितरण होगा, जिससे किसानों को लंबी लाइनों में नहीं लगाना पड़ेगा.

इन खाद का किसान करें उपयोग
वहीं, कृषि मंत्री जेपी दलाल ने न्यूज़ 18 को बताया कि खाद में काफी कालाबाजारी होती है. सस्ते दाम में सब्सिडी वाली खाद खरीद कर और उसे उद्योग में इस्तेमाल किया जाता है. किसान को 90 प्रतिशत तक सब्सिडी में खाद मिलती है, जिसका 10 प्रतिशत ही किसानों को वहन करना पड़ता है. लेकिन अब मोदी सरकार लगातार किसानों को प्रोत्साहित कर रही है, ताकि केमिकल खाद का प्रयोग कम से कम किया जाए. किसान जैविक खाद, गोबर की खाद, और देश में बनी हुई नैनो यूरिया का उपयोग करें.

ड्रोन से खाद का छिड़काव
केंद्र सरकार की योजना के अनुसार अब किसानों को ड्रोन की ट्रेनिंग दी जा रही. ताकि किसान ड्रोन के जरिए से अपने खेतों में यूरिया का छिड़काव कर सकें, इससे जहां जमीन की उर्वरक शक्ति बनी रहेगी और साथ ही खाद भी कम इस्तेमाल होगी .

इसलिए यमुनानगर को चुना गया
कृषि मंत्री जेपी दलाल ने बताया कि यमुनानगर जिले के अंदर प्लाईवुड की फैक्ट्रियां ज्यादा हैं. लोग सब्सिडी वाली खाद खरीद कर प्लाइवुड उद्योग के अंदर इस्तेमाल करते थे, क्योंकि किसान को खाद मात्र 266 रुपए प्रति कट्टा मिलती है, जबकि व्यावसायिक तौर पर 3000 रुपए प्रति कट्टा खरीदना पड़ता है. इसलिए सरकार ने पोर्टल के माध्यम से यूरिया किसानों को देने का निर्णय लिया है. आने वाले कुछ दिनों के बाद पूरे प्रदेश के हर जिले में यह प्रोजेक्ट लागू होगा.