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Mansoon 2023 Update: राॅकेट की रफ्तार से मॉनसून ने केरल में दी दस्तक, जानें देश भर में कब तक पहुंचेगा?

भारत मे मॉनसून का इंतजार खत्म हो गया है। मॉनसून ने केरल के तट पर मॉनसून दस्तक दे दी है, आपकों पता है कि इस साल मॉनसून एक सप्ताह की देरी से आया है।

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Newz Funda, New Delhi केरल के तट पर मॉनसून ने एक सप्ताह देरी से दस्तक दी है इसी के साथ भारत में मॉनसून का अगाज हो गया है। आने वाले 2 दिनों में दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में भी मॉनसून असर देखने को मिलेगा।

आपकी जानकारी के अनुसार अमूमन 1 जून को ही मॉनसून की शुरुआती होती है, लेकिन इस बार यह पूरे 7 दिन की देरी से चल रहा है। मौसम विभाग ने शुरुआत में इसके 4 जून तक आने की बात कही थी,

लेकिन बाद में इसे बदलकर 7 जून कर दिया था। अंत में यह केरल तट पर 8 जून को ही आया है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि पहले सप्ताह में मॉनसून की रफ्तार बिपरजॉय चक्रवात के चलते कमजोर रहेगी। 

केरल में अगामी 24 घंटों में मौसम होगा सक्रिय

मौसम विभाग की ओर से दी जानकारी के अनुसार अगले 24 घंटों में पूरे केरल में मॉनसून सक्रिय हो जाएगा। इसके बाद 48 घंटों के भीतर तमिलनाडुए कर्नाटकए पूर्वोत्तर भारत और दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में इसका असर देखने को मिलेगा।

फिर माॅनसून धीरे-धीरे मध्य भारत होते हुए यह उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान, दिल्लीए पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों तक पहुंचेगा। वैज्ञानिकों ने कहा कि दक्षिण पूर्व अरब सागर बिपरजॉय चक्रवात के असर से मॉनसून में देरी हुई है और शुरुआती सप्ताह में इसकी रफ्तार भी धीमी रहेगी।

हालांकि एक बार बिपरजॉय का असर समाप्त होगा तो फिर मॉनसून रफ्तार पकड़ लेगा। निजी मौसम एजेंसी स्काईमेट के वाइस प्रेसिडेंट महेश पालावत ने कहा कि अगले 2 से 3 दिन में पछुआ हवा तेज होगी और फिर मॉनसून रफ्तार पकड़ेगा।

उन्होंने कहा कि किसानों को बुआई के लिए तय समय से एक सप्ताह से 10 दिन तक का इंतजार करना होगा। उन्होंने कहा कि एक बार जब बारिश शुरू होगी तो फिर अगामी फसल की लगावाई चालू हो जाएगी।

खेती और फसल पर मॉनसून में देरी का कोई विपरीत असर नहीं होगा। हालांकि जून महीने में सामान्य से थोड़ी कम बारिश होने की संभावना है। 

15 जुलाई तक पूरे देश में सक्रिय होगा मौसम

आमतौर पर मॉनसून 1 जून तक केरल पहुंचता है और फिर 15 जुलाई तक पूरे देश में सक्रिय हो जाता है। लेकिन इस बार मौसम विभाग ने 16 मई को ही अनुमान जाहिर किया था कि यह 4 जून को आएगा,

लेकिन अंत में एक सप्ताह की देरी के बाद ही आया है। भारत में मॉनसून की अहमियत इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि 51 फीसदी खेती योग्य भूमि सिंचाई के लिए बारिश पर ही निर्भर रहती है।

इन्हीं इलाकों से 40 फीसदी खाद्यान्न उत्पादन होता है। यही वजह है कि अच्छा मॉनसून खेती और इकॉनमी के लिए गुड न्यूज के तौर पर देखा जाता है। मौसम विभाग का कहना है कि इस बार बारिश औसत से 96 फीसदी रहेगी। ज्यादातर इलाकों में यह सामान्य ही रहेगा।