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Potato Farming: कम समय की ये देसी आलू की खेती अब किसानों को देगी अधिक पैदावार, होगा मोटा मुनाफा

अकसर किसाना आलू की खेती में मोटा मुनाफा कमाना चहाते है। हम आपके लिए देसी आलू क ऐसी किस्म की जानकारी लेकर आए है जो आपको कम समय में अधिक पैदावार के साथ मोटा मुनाफा देगी।

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potato farming

Newz Funda, New Delhi जैसे की किसानों को पता है कि अब यह मौसम आलू की खेती के लिए सबसे उत्तम है। रसोई में लगभग हर सब्जी में आलू का प्रयोग होने से सालभर मार्केट में आलू की मांग बनी रहती है।

ऐसे में आलू की खपत को पूरा करने के लिए किसान इसकी खेती भी सालभर करते है। जिसकी अच्दी पैदावार से किसान को अच्छा खासा मुनाफा होता है। 

वहीं अगर हम समय रहते आलू की सही खेती करते है तो किसान इससे दोगुणा मुनाफा भी कमा सकते है। लेकिन इसके लिए सबसे जरूरी है आलू की अच्छी किस्म।

आलू की पैदावार को बढ़ाने के लिए किसान अपने खेतों में देसी आलू की खेती करें। वहीं जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि भारत में उगाई जानें वाले देसी आलू की किस्म की देश ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सबसे अधिक डिमांड है।

जिन देशों में आलू की इस देसी किस्म की पैदावार नहीं की जाती उन देशों में भारत का आलू निर्यात होता है। अगर हम सरकारी आंकड़ों को देखे तो भारत ने साल 2022.23 के समय लगभग 4.6 गुना ज्यादा देसी आलू को दूसरे देशों में निर्यात किया था। ऐसे में देसी आलू की खेती देश के किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो रही है। 

देसी आलू का अच्छी पैदावार के लिए किसान निम्न बातों को रखे ध्यान 

देसी आलू की खेती 

देसी आलू की बिजाई के बाद करीब 60 से 90 दिनों के अंदर अच्छे से तैयार हो जाती है। ऐेसे में किसान आलू की अगेती खेती के बाद गेहूं की पछेती खेती भी एक साथ कर सकते हैं। जिसके लिए किसान सूर्या किस्म के आलू बीजों की बुवाई कर सकते है। 

यह किस्म बुवाई से फसल 75 से 90 दिनों के अंदर पूरी तरह बन जाती है। जिससे बाद किसानों को प्रति हेक्टेयर फसल से लगभग 300 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त होता है।

अगर आप 90 दिनों के कम समय में आलू की फसल का उत्पादन लेना चाहते हैं, तो किसान अपने खेतों में कुफरी अशोकए कुफरी चंद्रमुखीए कुफरी जवाहर किस्मों की बुवाई करें। यह सभी किस्मों को उत्पादन करीब.करीब 80 से 300 क्विंटल होता हैं। 

आलू की खेती में इन बिंदूओं को रखें ध्यान 

- आलू के खेतों को बुवाई से पहले समतल कर लेना चाहिए और फिर अच्छे से जल निकासी की व्यवस्था करें।

- देसी आलू के कंदों का अच्छे से चुने, क्योंकि इसके बीजों की मात्रा इस किस्म के कंदों पर निर्भर करती है।

- आलू की खेती में प्रति एकड़ में करीब 12 क्विंटल कंदों की बुवाई का काम सरलता से कर सकते हैं। 

- देसी आलू की बुवाई के लिए 15 से 30 अक्टूबर का समय अच्छा होता है।

- आलू की बुवाई करने से पहले कटे हुए कंदों का सही से दवा लगाएं, ताकि फसल के दौरान किसी भी तरह के रोग कीट न लगे।

- कीट व रोगो से बचाने के लिए बुवाई वाले बीजो को 0.25 प्रतिशत इंडोफिल एम 45 के घोल में 5.10 मिनट तक डुबोकर रखें और फिर इसे बाहर निकालकर सुखा दें. ताकि इसमें दवा की सही से कोटिंग हो सके और फसल अच्छे से फल-फूल सके.