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यह है एशिया का सबसे पढ़ा लिखा गाँव, यहां 80% लोग बन चुके है ऑफिसर

आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां के 80 फीसदी पढ़े-लिखे लोग अधिकारी हैं. यह गांव भारत में ही स्थित है.धोर्रा माफी गांव एशिया का सबसे पढ़ा-लिखा गांव है. 
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यह है एशिया का सबसे पढ़ा लिखा गाँव

Newz Funda, Newdelhi: भारत अपनी संस्कृति के लिए पूरे विश्व में अपनी एक अलग पहचान रखता है. इसकी कला, वेशभूषा की तरफ को विदेशी भी आकर्षित होते हैं. साक्षरता के मामले में भारत किसी से पीछे नहीं है. इन तमाम बातों के बीच यहां एक ऐसा गांव है जो बहुत चर्चा में रहता है. क्योंकि यह गांव एशिया का सबसे पढ़ा-लिखा गांव है.

आज हम बात करने जा रहे हैं धोर्रा माफी गांव की, जो उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के जवां ब्लॉक में स्थित है. यह गांव अपनी संस्कृति, खान-पान, आर्ट और फिल्मों के लिए बहुत प्रसिद्ध है. आइए जानते हैं इस गांव के बारे में...

लिम्का बुक में दर्ज हो चुका है नाम
एशिया का यह सबसे पढ़ा लिखा गांव दुनियाभर में मशहूर है. केवल 10-11 हजार की आबादी वाले इस गांव के लगभग 90 प्रतिशत लोग साक्षर हैं. इतना ही नहीं साल 2002 में धोर्रा माफी गांव का नाम 'लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' में शामिल किया गया था. उस समय इस गांव की साक्षरता दर 75 फीसदी से भी ज्यादा थी, जिसमने एक रिकॉर्ड बनाया था. वहीं, इस गांव का चुनाव गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड के लिए होने वाले सर्वे के लिए भी किया गया था.

बड़े शहर में मिलने वाली हर सुविधा है यहां
धोर्रा माफी गांव में पक्के मकान, 24 घंटे बिजली-पानी और कई इंग्लिश मीडियम स्कूल और कॉलेज हैं. यहां के निवासी खेती के बजाय पढ़-लिखकर नौकरी को करयर के तौर पर चुनते हैं. यहां पूरी आबादी में लगभग 90 प्रतिशत से भी ज्यादा लोग साक्षर हैं. गांव के करीब 80 फीसदी लोग कई बड़े पदों जैसे डॉक्टर, इंजीनियर, साइंटिस्ट, प्रोफेसर और आईएएस ऑपिसर बनकर गांव का नाम रोशन कर रहे हैं.

अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रहते हैं यहां
देश का मशहूर शिक्षण संस्थान अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से धोर्रा माफी गांव सटा हुआ है. ऐसे में यूनिवर्सिटी के ज्यादातर प्रोफेसर और डॉक्टर्स इस गांव में बस गए हैं.

इस गांव के निवासियों ने विदेशों तक जाकर  अपनी साक्षरता, कौशल और शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाया है. धोर्रा माफी गांव में केवल पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाएं भी शिक्षित और आत्मनिर्भर हैं. धोर्रा माफी गांव के बड़े तबके के लोग विदेशों में रहते हैं