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दो भाईयों की अनोखी सोच से यह शादी एक मिसाल बन गई, जिस की चारो ओर हो रही है सराहना

समाज में अनेकों कुरीतियों को जड़ से खत्म करने के लिए इस सकारात्मक सोच को अपनाया गया है
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अनोखी शादी
Newz Funda, Sirsa Desk आधुनिक युग में शिक्षा के बढ़ावे के साथ समाज में कई बदलाव देखने को मिल रहें है। जहां एक ओर दहेज के लिए लड़कियों को मार दिया जाता है, वहीं कुछ लोग ऐसे भी है जो कि दहेज को ठोकर मार कर मानवता की नई मिसाल पेश कर रहे है। 

ऐसा ही एक नजारा सिरसा जिले के ऐलनाबाद क्षेत्र के गांव नाथूसरी कलां में देखने को मिला है, जहां वर पक्ष की ओर से दहेज प्रथा जैसी कुरीति को खत्म करने के लिए शादी में दहेज के रूप में मिले 1 लाख 51 हजार रुपये को ठुकरा दिया गया। 

उन्होंने शादी में शगुन के रूप में मात्र 1 रूपया व नारियल ही स्वीकार किया। वहीं दोनों पक्षों की ओर से पूरी तरह नशामुक्त समारोह का आयोजन किया गया। समाज में अनेकों कुरीतियों को जड़ से खत्म करने के लिए इस सकारात्मक सोच को अपनाया गया है। इस नजारे को देख सभी लोग वर पक्ष की खूब सराहना कर रहे  है।

दहेज लेने से साफ किया मना

ऐलनाबाद हल्के के गांव मिठनपुरा निवासी देवीराम देहडू की बेटियां कविता और आईना की शादी सिरसा जिले के गांव गुड़िया निवासी प्रहलाद पिलानिया के बेटे सुनील व मनीष के साथ हुई है। 14 दिसंबर को शादी सम्पन्न होने के बाद लड़कियों के पिता ने दोनों लड़कियों की शादी में दहेज स्वरूप 1 लाख 51 हजार रुपए नकद दिए।

जिसे वर पक्ष ने लेने से इनकार कर दिया और शगुन के रूप में मात्र 1 रुपया व नारियल ही दहेज स्वीकार किया। दोनों परिवारों की इस सोच ने समाज को एक नई दिशा दी।

चर्चा का विषय बना

ऐसी अनोखी बिना दहेज की शादी की चर्चा हर तरफ हो रही है। गांव के लोगों ने वर पक्ष सहित पूरे परिवार को बधाई दी और दहेज न लेने व देने की इस मुहिम की दिल खोलकर सराहना की। वहीं लड़के सुनील का कहना है कि यदि लड़की वालो की ओर से दहेज लेते रहे तो हम पढ़े - लिखे नौजवानों की शिक्षा का कोई महत्व नही रहेगा।

दूल्हों ने युवाओं से की अपील

अपनी उम्र के अन्य युवाओं से अपील करते हुए दूल्हे सुनील व मनीष ने कहा कि आज के इस शिक्षित युग में दहेज प्रथा जैसी सामाजिक बुराई को जड़ से खत्म करने के लिए हम सबको साथ मिलकर आगे कदम बढ़ाना पड़ेगा। 

हम सब को समझदारी दिखाते हुए दहेज का त्याग कर सिर्फ लड़की को ही अपनाना चाहिए, ताकि लड़की वालों पर लड़कियां कभी बोझ न बनें। हम सब की कोशिशो से ही समाज को खोखला कर देने वाली कुरीतियां दूर हो सकती है। तभी शादी लोक दिखावा न होकर प्रेम-प्यार का बंधन बनेगा।