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NCERT के पाठ्यक्रम में बदलाव से फैले विवाद पर UGC अध्यक्ष ने की टिप्पणी, दिया यह बयान !

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) के पाठ्यक्रम को लेकर घमासान विवाद जारी है. इसे लेकर रोज़ नए नए बयान सामने आते है. अब UGC अध्यक्ष एम कुमार ने NCERT का बचाव करते हुए कहा की...
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Newz Funda, New Delhi राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के पाठ्यक्रम को लेकर घमासान विवाद जारी है. कुछ दिन पहले 33 शिक्षाविदो NCERT से पाठ्यपुस्तकों से अपना-अपना नाम हटाने का अनुरोध करते हुए कहा था ‘उनका सामूहिक रचनात्मक प्रयास खतरे में है’.

NCERT का बचाव करते हुए UGC अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने कहा ‘कुछ शिक्षाविदों की आपत्तियों में कोई दम नहीं है और इनके द्वारा निशाना साधा जाना अवांछित है, NCERT ने पहली बार बदलाव नहीं किया है पहले भी समय समय पर NCERT बदलाव करती आई है’. उन्होंने यह टिप्पणी पालसीकर और योगेन्द्र यादव के NCERT को पत्र लिखे जाने के बाद दी. 

उन्होंने कहा कि एनसीईआरटी ने भी इस बात की पुष्टि की है कि वह हाल में विद्यालयी शिक्षा पर जारी किये गये राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचा के आधार पर नयी पाठ्यपुस्तकें तैयार कर रहा है तथा अकादमिक भार कम करने के लिए मौजूदा पाठ्यपुस्तकों को युक्तिसंगत बनाया गया है, जो केवल अस्थायी चरण है।

एम कुमार ने कहा, ‘NCERT ने भी इस बात की पुष्टि की है कि वह हाल में विद्यालयी शिक्षा पर जारी किये गये राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचा के आधार पर नयी पाठ्यपुस्तकें तैयार कर रहा है तथा अकादमिक भार कम करने के लिए मौजूदा पाठ्यपुस्तकों को युक्तिसंगत बनाया गया है, जो केवल अस्थायी चरण है.

ऐसे में इन शिक्षाविदों की आपत्तियों में कोई दम नहीं है। इस प्रकार का असंतोष प्रकट करने का कारण अकादमिक नहीं, बल्कि कुछ और है.

उल्लेखनीय है कि 73 शिक्षाविदों ने बृहस्पतिवार रात जारी एक संयुक्त बयान में आरोप लगाया कि NCERT को बदनाम करने की पिछले तीन महीने से जानबूझकर कोशिश की जा रही है और यह शिक्षाविदों के बौद्धिक अहंकार को दर्शाता है जो चाहते हैं वि छात्र 17 साल पुरानी पाठ्यपुस्तकों को ही पढ़ते रहें’.

बयान में कहा गया है, "प्रमुख सरकारी संस्थान NCERT को बदनाम करने और पाठ्यक्रम अद्यतन करने के लिए अत्यावश्यक प्रक्रिया को बाधित करने की पिछले तीन महीने से जानबूझकर कोशिश की जा रही हैं।" 

चर्चा का विषय यह है कि NCERT ने 12वीं कक्षा के नए सत्र की राजनीतिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में से 'महात्मा गांधी की मौत का देश में साम्प्रदायिक स्थिति पर प्रभाव, गांधी की हिन्दू मुस्लिम एकता की अवधारणा ने हिन्दू अतिवादियों को उकसाया और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) जैसे संगठनों पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध के साथ कई पाठ्य अंशों को हटा दिया था और 11वीं कक्षा की समाज शास्त्र की पाठ्यपुस्तक से गुजरात दंगों के कुछ अंशों को हटा दिया था.

इसे लेकर पिछले महीने से तर्कसंगत विवाद बन चूका है जिसमें हटाई गई कुछ सामग्री का उल्लेख नहीं किया गया. NCERT ने हालांकि कहा था, ‘पाठ्यक्रम को युक्तिसंगत बनाने की कवायद पिछले वर्ष की गई और इस वर्ष जो कुछ हुआ है, वह नया नहीं है’.