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Smart Tips: जीवन में कैसी होनी चाहिए बेटों की परवरिश, इन बातों का जरूर रखें ध्यान

हमारी प्यारी बहन व बेटियों को आखिर किसकी वजह से डर लगता है इसका एक और बड़ा स्पष्ट उतर है कि हमारी बहन बेटियों को सिर्फ और सिर्फ हमारे ही समाज के बेटों से डर लगता है ऐसा क्यों है।
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Newz Funda, New Delhi आज एक ऐसे विषय पर विचार प्रकट कर रहे हैं नेहरू युवा केंद्र हिसार के उपनिदेशक डा. नरेंद्र यादव। जो बहुत ही महत्वपूर्ण है और सभी को चिंतन करने की भी जरूरत है।

विषय ऐसा है कि न केवल हर मां को व हर पिता को विचार करना चाहिए बल्कि समाज के हर इंसान को तथा देश के हर नागरिक को विचार करना चाहिए जिनके घर में बेटे है। उनकी परवरिस कैसी हो, ये हर उन माता पिता को सोचना चाहिए जिनके घरों में सिर्फ लडक़े है या बेटियों के साथ बेटे भी है या फिर सिर्फ बेटे हैं। 

संवेदनशीलता के साथ चिंतन मनन करने की आवश्यकता है

साथियों विषय बहुत ही गंभीर है जिस पर हम सभी को बहुत संवेदनशीलता के साथ चिंतन मनन करने की आवश्यकता है। हम सदैव बेटियों को ज्यादा हिदायत देते है कि बेटी घर से बाहर जाओ तो सम्भल कर जाना, किसी से बात मत करना, हंसना मत, अंधेरा होने से पहले घर आ जाना, झुक कर चलना वगैरा वगैरा।

साथियों क्या कभी आपने विचार किया है कि ऐसा हमारी बेटियों को हर माता पिता क्यों कहता है। उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ,ये कहना जरूरी हो जाता क्यों कि हमने अपने लाडलो को कभी इस प्रकार की परवरिस दी ही नहीं जिससे हमारी हर बेटी सुरक्षित महसूस करे।

हमारी प्यारी बहन व बेटियों को आखिर किसकी वजह से डर लगता है इसका एक और बड़ा स्पष्ट उतर है कि हमारी बहन बेटियों को सिर्फ और सिर्फ हमारे ही समाज के बेटों से डर लगता है ऐसा क्यों है। ऐसा इस लिए है कि हमारे बेटे उस तरह से नही पाले जाते जिस तरह से उनका पालन पौषण होना चाहिए था । 

क्या कभी अपने बेटों को कहा कि बेटा---
1. सम्भल कर जाना

2. बेटा, समाज की हर बेटी को अपनी बहन समझना

3. बस पर चढ़ढ़ कर , बेटियों को देख कर सीटी मत बजाना।

4. बेटा किसी बेटी पर मत हंसना।

5. बेटा, समाज की हर बेटी की सुरक्षा के लिए सदैव तत्पर रहना।

6. स्कूल, कॉलेज की हर बेटी को अपनी बहन का दर्जा देना।

7. बेटा कभी नशे का प्रयोग न करना और न ही किसी को इस के लिए कहना।

8. बेटा , कभी किसी अपराध के जाल में न फसना।

9. सदैव अपने चरित्र का निर्माण करना और अपना व्यवहार में विनम्रता रखना लेकिन बहादुर भी बनना।

10. अपने खानदान की परंपरा की रक्षा तथा अपने मातपिता पर गर्व करना सीखना।

जब पिता घर में आता है तो बेटा बाहर

साथियों क्या हम जब हमारा बेटा घर से बाहर कदम रखता है तो इन बातों से आगाह करते है, मुझे लगता है कि हम ये 10 बाते  अपने बेटों  से कभी नही कहते होंगे क्यों कि मुझे पता है कि बहुत से पिता तो अपने बच्चों से बाते ही नहींकरते है।

जब पिता घर में आता है तो बेटा बाहर और जब बेटा घर मे आता है तो पिता बाहर। और हमारी माताएं जिनके बेटे है वो अपने बेटों की तो गलती मानती ही नहीं है। मुझे ऐसा लगता है कि जितनी सभ्यता अपने लड़को को सिखाना जरूरी है उतना बेटियों को सिखाने की जरूरत नहीं है। 

बेटों को सिखाना जरूरी है 

अब समय आ गया है कि हमे अपनी बेटे और बेटियों की परवरिस में आमूल चूल परिवर्तन करने की जरूरत है। बेटियों को दबाने की जरूरत नही है, बेटों को सिखाना जरूरी है क्यों कि वो जब अपने घर मे रहते है तब तक तो उसे महिलाओं के सारे रिश्ते समंझ में आते है।

उन्हें बहन भी नजर आती है, उन्हें माँ भी नजर आती है, उन्हें बेटी भी नजर आती है उन्हें चाची, ताई भी नजर आती है। लेकिन जैसे ही वो घर की दहलीज से बाहर निकलते है उन्हें सभी महिलाएं , सिर्फ औरते ही दिखती है उन्हें वहां कोई रिश्ते नजर नही आते ।