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General knowledge: शुरुआती ब्रह्माण्ड से आज 5 गुना तेज है समय, जानिए इस रफ्तार का कारण

क्या ब्रह्माण्ड के इतिहास में समय पहले धीमा था और अब तेज हो गया है? भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म का इतिहास ऐसे किस्सों से भरा पड़ा है जिसमें बताया गया है तकि पृथ्वी पर समय की रफ्तार तेज होती रही है.
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 शुरुआती ब्रह्माण्ड से आज 5 गुना तेज है समय...

Newz Funda, New delhi: क्या ब्रह्माण्ड के इतिहास में समय पहले धीमा था और अब तेज हो गया है? भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म का इतिहास ऐसे किस्सों से भरा पड़ा है जिसमें बताया गया है तकि पृथ्वी पर समय की रफ्तार तेज होती रही है. अब वैज्ञानिकों ने नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने काल विस्तारण या काल वृद्धि यानि समय के फैलाव की धारण  की पुष्टि करने में सफलता हासिल की है. इसमें खुलासा करते हुए उन्होंने बताया है कि पाया गया है कि समय आज की तुलना में एक समय में पांच गुना धीमा हुआ करता था. ये नतीजा उन्होंने खास तरह के ब्लैक होल के अध्ययन के जरिए निकाला जिन्हें क्वेजार कहते हैं.

190 क्वेजार ने की मदद
नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 190 क्वेजार से निकली बहुत तरंगों के दो दशकों तक के अवलोकन और अध्ययन आधार पर कॉस्मिक टाइम डाइलेशन यानि खगोलीय काल विस्तारण की पहचान की है. ये अवलोकन 12.3 अरब साल पहले की तरंगों के हैं जब ब्रह्माण्ड की उम्र आज की उम्र की तुलना में दसवें हिस्से के बराबर की थी. वैज्ञानिकों ने जिन चमक का अध्ययन किया वे बिग बैंग की घटना के 1.5 अरब साल के बाद की घटनाओं की थीं.य

शिशुकाल में धीमा था ब्रह्माण्ड था
समय के बदालव का गति पर की असर नहीं होता है, हमारे अवलोकनों से हमें लगता है कि जब ब्रह्माण्ड अपने शिशुकाल की अवस्था में था, तब  समय धीमा चला करता था. हमें ऐसा ही लगता है कि 13 अरब सालों के सफर के बारे में हमें ऐसा ही लगा है और इसी को काल वृद्धि या काल विस्तारण (टाइम डायलेशन) कहते हैं.

क्वेजार के बदलती चमक का अध्ययन
ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी के खगोलभौतिकविद जेरिएंट लुईस और ऑकलैंड यूनिवर्सिटी के सांख्यिकीयविद ब्रेनडन ब्र्यूअर ने इसी का अध्ययन किया है. दोनों शोधकर्ताओं ने पहली बार चमकीली गैलेक्सी के यानि क्वेजार गैलेक्सी के बदलावों का उस दौर का अध्ययन किया जब ब्रह्माण्ड अपने शिशुकाल की अवस्था में था.

क्या होते हैं क्वेजार
क्वेजदार बहुत ही सक्रिय किस्म के सुपरमासिव ब्लैक होल होते हैं जिसकी वजह से उनकी गैलेक्सी में अनोखी लेकिन बदलती हुई चमक देखने को मिलती है. गैलेक्सी के केंद्र में स्थित ये ब्लैक होल हमारे सूर्य से करोड़ों अरबों गुना भारी होते हैं. ये बहुत ही शक्तिशाली गुरुत्व से पदार्थ निगलते हैं और पिर जेट के रूप में उच्च ऊर्जा कणों के विकिरण निकालते हैं और एक खास फड़कती सी चमक भी निकालते हैं.

कैसे अलग था समय
लुईस ने बताया कि जब उन्होंने ब्रह्माण्ड के इतने पीछे देखा, जब वह केलव एक अरब साल ही पुराना था, उन्होंने पाया कि समय तब पांच गुना ज्यादा धीमा था उस दौर में अगर आप होते तो एक सेकेंड एक ही सेकेंड लगता, लेकिन हमारी स्थिति के हिसाब से वह समय बहुत धीमा चल रहा होता. इससे पहले खगोलविद दर्शा चुके हैं कि ब्रह्माण्ड की गतिविधि धीमी है. लेकिन इस बार यह दर्शाया गया की शुरुआती ब्रह्माण्ड की समय आज की तुलना में बहुत धीमा गुजरा करता था.

समय में लगा समय
वहीं प्रसिद्ध भौतिकविद अलबर्ट आइंस्टीन  अपने सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत में बता चुके हैं कि समय और अंतरिक्ष एक दूसरे से गुथे हुए हैं और ब्रह्माण्ड बिग बैंग के बाद से बाहर की और फैल रहा है. लेकिन सुदूर पिंडों का अवलोकन और अध्ययन कर हम समय के उस दौर का अंदाजा लगा सकते हैं. क्योंकि तब की तरंगों को यात्रा करने में बहुत समय लगा और आज हम तक पहुंच पा रही हैं.

वैज्ञानिकों ने कालविस्तारण की क जानकारी करीब 7 अरब साल पहले के समय की निकाली थी जब उन्होंने आउस दौर के सुपरनोवा विस्फोटों का अध्ययन किया था. लेकिन अब खास तरह के
आंकड़ों से क्वेजार घड़ियों की तरह अंतरिक्ष के विस्तार की जानकारी दे रही हैं. ये नतीजे आइंस्टीन की विस्तारित होते ब्रह्माण्ड की तस्वीर को और ज्यादा स्पष्ट तरह से दिखा रहे हैं.