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मां की मौत के बाद भी नहीं टूटा हौसला; होनहार बेटी बन गई IAS, ऐसी है अंकिता की Success story

IAS Ankita Chaudhary बुलंद हौसले की बदौलत अफसर बनकर देश की सेवा कर रही हैं।

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Newz Funda, Rohtak यहां बात आईएएस अफसर अंकिता की हो रही है।

जिन्होंने मां के दुनिया से जाने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और बुलंद हौसलों से सफलता की इबारत लिख डाली।

रोहतक के इंडस पब्लिक स्कूल से पढ़ाई के दौरान ही अंकिता का सपना अफसर बनने का था।

वे वहां से 12वीं तक की पढ़ाई करने के बाद दिल्ली गईं।

यहां के हिंदू कॉलेज से केमिस्ट्री में ग्रेजुएशन कंप्लीट करने के बाद यूपीएससी की तैयारी की।

जिसके बाद आईएएस अफसर बनकर सपनों को पंख लगाए।

Ankita Choudhary आज दूसरी बेटियों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत हैं।

जिनकी Success Storie को जानने के बाद हर कोई उनका मुरीद बना हुआ है।

आपको बता दें कि जब बच्चे सफल होते हैं, तो माता-पिता का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।

गम की बात यही थी कि जब महिला आईएएस अंकिता चौधरी को अफसर का ताज मिला, तो उनकी मां इस दुनिया में नहीं थी।

एक हादसे ने उन्हें अंकिता से छीन लिया था। सिर्फ यादें ही बाकी रह गई थीं। 

शुरू से ही मन था अफसर बनने का

रोहतक से जाने के बाद दिल्ली के हिंदू कॉलेज में दाखिला लिया था, तभी मन बना लिया था कि आईएएस बनकर रहेंगी।

इसके बाद केमिस्ट्री में ग्रेजुएशन को पूरा किया और यूपीएससी की तैयारियों में जुट गईं।

कभी भी दिक्कतों से हौसला नहीं हारा और तन-मन से पढ़ाई पूरी की।

इसके बाद मौका आया तो यूपीएससी में अपनी छाप छोड़ दी। बता दें कि मास्टर डिग्री कंप्लीट होने से पहले ही सफल हो गईं।

पोस्ट ग्रेजुएशन आईआईटी दिल्ली से की है। जिसके बाद तैयारियों को अमलीजामा पहनाया गया। 

हादसे में छीन लिया मां का साथ

अंकिता यूपीएससी की तैयारी कर रही थीं कि मां की हादसे में मौत ने उन्हें हिलाकर रख दिया था।

जिसके बाद घरवालों और पिता ने बेटी को पूरा सहारा दिया। पहली बार में अंकिता को यूपीएससी में अफलता हाथ लगी।

लेकिन हार नहीं मानी। इसके बाद 2018 में अपने सपने को पूरा कर ही लिया।  

ऑल इंडिया रैंक 14 हासिल करने वाली अंकिता बताती हैं कि असफल होने के बाद और भी कड़ी मेहनत की, जो रंग लाई।

ईमानदारी के साथ तैयारी के अलावा काम पर फोकस और स्ट्रेटेजी ने उन्हें मुकाम दिलाया।

बता दें कि उनका ऑप्शनल सब्जेक्ट पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन था, जिसके लिए दिन-रात मेहनत की।

उनके पिता सत्यवान एक चीनी मिल में अकाउंटेंट का काम करते हैं।