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Success Story : बिना कोचिंग के यह शख्स कुली से बना IAS Officer, जानें कैसी रहीं जर्नी

एर्नाकुलम स्टेशन पर कुली का काम करने वाले आईएएस ऑफिसर श्रीनाथ के (IAS Officer Sreenath K) ने अपने घर की जिम्मेदारियों को उठाने के साथ-साथ अपनी किस्मत को भी बखूबी आजमाया।
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Newz Funda, New Delhi  भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाना कठिन होता है। यदि कड़ा परिश्रम किया जाए, तो कामयाबी जरूर मिलती है। केरल के इस कुली ने केरल लोक सेवा परीक्षा को पास करने और आईएएस में अपने लिए जगह बनाने में सफलता हासिल की। 

एर्नाकुलम स्टेशन पर कुली का काम करने वाले आईएएस ऑफिसर श्रीनाथ के (IAS Officer Sreenath K) ने अपने घर की जिम्मेदारियों को उठाने के साथ-साथ अपनी किस्मत को भी बखूबी आजमाया। वह देश की सबसे कठिन यूपीएससी परीक्षा (UPSC EXAM) को पास कर आईएएस ऑफिसर बन गया। 

श्रीनाथ ने रेलवे स्टेशनों पर उपलब्ध मुफ्त वाई-फाई की मदद से इस परीक्षा को पास किया। अपने परिवार को बेहतर जीवन देने की इच्छा से श्रीनाथ ने सरकारी नौकरी हासिल करने के लिए पढ़ाई शुरू करने का फैसला किया। कुली का काम करने वाले श्रीनाथ ने आईएएस ऑफिसर बन कर सफलता की एक नई मिसाल पेश की है।

फ्री वाई-फाई से की तैयारी

काम के बोझ के कारण श्री नाथ खुद की पढ़ाई को बिल्कुल भी समय नही दे पाता था।  2016 में गूगल ने भारत के कई रेलवे स्टेशनों पर फ्री वाई-फाई लॉन्च किया, जिसके बाद ही वह काम करते हुए पढ़ाई करने में सफल हुआ। श्री नाथ ने ऑडियोबुक और वीडियो डाउनलोड करके यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की।

बिना किसी कोचिंग के पास की परीक्षा

अन्य कैंडिडेट्स परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग और एक्स्ट्रा क्लासेज पर खर्च करते है। जबकि श्रीनाथ ने अपना पैसा एक मेमोरी कार्ड, फोन और एक जोड़ी ईयरफोन पर खर्च किया। फ्री वाई-फाई से परीक्षाओं की तैयारी करने के बाद उन्होंने ग्राम सहायक के पद के लिए केरल लोक सेवा परीक्षा में हिस्सा लिया। 

जिसमें वह कुल 82 फीसदी नंबरों के साथ पास हुए। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री, पीयूष गोयल ने भी श्रीनाथ को 2018 में उनकी उपलब्धि पर बधाई दी थी। उनकी कहानी Google इंडिया द्वारा शेयर की गई थी।

परिवार के लिए लिया फैसला

श्रीनाथ यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के लिए उपस्थित हुए और यूपीएससी सीएसई में अपने चौथे अटेंप्ट के बाद आईएएस अधिकारी बन गए। वह रेलवे स्टेशन पर ऑथराइज्ड कुली थे। 2018 में 27 साल की उम्र में उन्होंने महसूस किया, कि कुली की आमदनी से उनके परिवार का खर्चा पूरा नही होता था। 

उस समय उनकी बेटी एक साल की ही थी। अपनी बेटी का भविष्य उज्जवल बनाने के लिए उन्होंने पढ़ाई करने का फैसला लिया। जिसमें उन्होंने सफलता भी हासिल की।