कब्जाधारियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान, सरकारी एवं पंचायती भूमि पर कब्ज़े को लेकर फैसला !

उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कब्जाधारियों को लेकर दिया बड़ा बयान. सरकारी एवं पंचायत भूमि पर अवैध रूप से कब्ज़ा करने वाले के लिए आए यह नियम, जानिए पूरी खबर...
 

Newz Funda, New Delhi उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने बयान देते हुए कहा कि सरकारी एवं पंचायत भूमि पर अवैध रूप से कब्ज़ा करने वाले कब्जाधारी नियमन का अधिकार के रूप में दावा नहीं कर सकते. इन भूमियों पर कब्ज़ा सिर्फ सरकार के निति-नियमों के अनुसार ही हो सकता है.

कोर्ट ने सोनीपत जिले के गाँव सरसाद में पंचायत भूमि पर अवैध कब्ज़ा करने वालो पर टिप्पणी की. राज्य सरकार ने साल 2000 में एक निति जारी की थी, जिसमें बाहर अवैध कब्ज़े वाली जमीन की बिक्री का ज़िक्र है. इसके साथ ही सरकार ने पंजाब ग्राम शामलात भूमि (विनियमन) नियम (1964) की 2008 में अधिसूचना जारी की थी।

3 जनवरी 2008, को साल 1964 के नियम में 12(4) नियम को भी शामिल किया गया. याचिकाकर्ताओं ने पंजाब ग्राम शामलात भूमि (विनियमन) नियम, 1964 के नियम 12(4) के तहत याचिका दायर की थी, जिसमे 31 मार्च, 2000 पूर्व ही खाली जमीन गाँववालों को बेचने का अधिकार देता है जो कृषि योग्य नही है.

असल में, सोनीपत के उपायुक्त ने रिकॉर्ड देखने के बाद इन लोगों का निवेदन खारिज कर दिया और कहा की कब्ज़ा की गई भूमि 200 वर्ग गज से अधिक है जिस कारण वे नियम 12(4) का लाभ लेने के पात्र नहीं हैं, इसके बाद उच्च न्यायालय ने भी प्राधिकारी द्वारा पारित आदेश द्वारा याचिका ख़ारिज कर दी. जिसे अदालत ने न्यायोचित बताया.