कामोतेजना बढ़ाने के लिए मुगल शासक खाते थे ये चीजें, ये होता था मुगलों का शाही मेन्यू  

मुगलों ने हिन्दुस्तान पर सैकडों वर्षां तक राज किया। मुगलों के शासन काल के बारे में अनेकों किताबें लिखी गई हैं। 
 

 Newz Funda, New Delhi  हिन्दुस्तान पर मुगलों ने सैकडों वर्षां तक राज किया। मुगलों के शासन काल के बारे में अनेक किताबें लिखी गई हैं। इतिहास में रूचि रखने वाले लोग मुगल काल की हर बात जानने के लिए हमेशा उत्सुक रहते हैं।

ऐसे कई संकलन हैं, जिनमें मुगलों के बारे में कई अनकही बातें छिपी हैं। आज हम आपको मुगलों के शाही खाने के बारे में बताने जा रहे हैं।

पुर्तगाली व्यापारी मैनरिक ने मुगल शासन पर एक किताब लिखी, जिसमें इस बात का जिक्र है कि पहले से चली आ रही मुगलों की परंपरा को शाहजहां ने भी आगे बढ़ाया। शाहजहां हरम में अपनी बेगम और रखैलों के साथ खाना खाता था।

मुगल शासक व उनके करीबियों को खाना किन्नरों द्वारा परोसा जाता था। खाना बनाने से पहले शाही हकीम ये तय करता था कि कौन-कौन से व्यंजन बनेंगे।

डच व्यापारी फ्रैंसिस्को पेल्सार्त ने भी मुगलों पर लिखी गई अपनी किताब 'जहांगीर्स इंडिया' में मुगलों के खाने के बारे में लिखा है। इसके अलावा मैनरिक की लिखी किताब 'ट्रेवल्स ऑफ फ्रे सेबेस्टियन मैनरिक'  में भी मुगलों के खानपान का जिक्र है।

उन्होंने अपनी किताब में बताया है कि मुगलों के शाही व्यंजन रोज तय होते थे। जिसका पूरा जिम्मा हकीम पर होता था। शाही हकीम भोजन में ऐसी चीजों और औषधियों को शामिल करता था, जिससे मुगल शासक स्वस्थ और ताकतवर रहे।

मुगलों का खाना मौसम और बादशाह के स्वास्थ्य के हिसाब से तय होता था। चावल के दानों पर चांदी के वर्क किए जाते थे। क्योंकि कहा जाता था चांदी से खाना पचने में आसानी होती थी।

इसके साथ ही यह कामोत्तेजना को भी बढ़ाता था। मुगलों का शाही खाना गंगा नदी और बारिश के छने हुए पानी में तैयार किया जाता था।