Navratri Kanya Pujan 2023: 9 साल की कन्या दुर्गा और 10  साल की कन्या को माना जाता है सुभद्रा देवी का स्वरूप, जानें ये विशेष बाते

कुछ लोग उपवास के अंतिम दिन यानी नवमी तिथि को कन्या पूजन करने का संकल्प लेते हैं और कन्या भोज के बाद ही नवरात्र समापन हो जाते हैं। लेकिन ध्यान रहे कन्या पूजन...
 

Newz Funda, New Delhi चैत्र नवरात्रि के 30 मार्च को समापन होगा। कन्या पूजन नवरात्र के किसी भी दिन किया जा सकता हैं। लेकिन ज्यादातर लोग अष्टमी और नवमी तिथि को पूजन को अधिक महत्तव देते हैं।

जैसे की आपको पता ही है कि माता रानी का स्वरूप माने जाने वाली छोटी कन्याओं की पूजा के बिना 9 दिन की शक्ति पूजा अधूरी ही मानी जाती है। क्योंकि मां हवनए तप और दान से इतनी प्रसन्न नहीं होती.

जितनी कन्या पूजन से होती हैं। कुछ लोग उपवास के अंतिम दिन यानी नवमी तिथि को कन्या पूजन करने का संकल्प लेते हैं और कन्या भोज के बाद ही नवरात्र समापन हो जाते हैं। लेकिन ध्यान रहे कन्या पूजन के कुछ नियम भी होते हैं.

जिनका ध्यान रखना बहुत आवश्यक होता है। अगर आप भी कन्या भोज कराने जा रहे हैं तो जानिए कुछ आवश्यक बातें और नियम।

इस दिन जहां श्रीराम नवमी है। वहीं 29 मार्च को महाअष्टमी पर्व है। इस दिन दुर्गा पूजा के साथ ही छोटी कन्याओं की पूजा करने की भी परंपरा है। वहीं रामायण का पाठ करें और राम नाम का जप करें।

कन्या पूजन के नियम

नवरात्री के 9 दिन बाद कन्या पूजन करने से मां भगवती की कृपा प्राप्त कर सकते हैं क्योंकि इन छोटी लड़कियों में आदि शक्ति का वास होता है। कन्या पूजन के दौरान ध्यान रखें कि कन्याओं की उम्र दो से 10 साल की उम्र के बीच होनी चाहिए।

आपकी जानकारी के लिए एक ओर महत्तवपूर्ण बात यह है कि एक बालक को जरूर आमंत्रित करें क्योंकि यह बालक बटुक भैरव और लागूंरा का रूप माना जाता है। आदि शक्ति की सेवा और सुरक्षा के लिए भगवान शिव ने हर शक्तिपीठ के साथ.साथ एक.एक भैरव को रखा हुआ है

इसलिए देवी के साथ इनकी पूजा भी जरूरी मानी गई है। शक्तिपीठ के दर्शन के बाद अगर भैरव के दर्शन नहीं किए तो मां के दर्शन भी अधूरे माने जाते हैं।

किस आयु की कन्या किसका है स्वरूप

श्रीमद् देवी भागवत महापुराण के तृतीय स्कंध में कन्याओं का जिक्र है। बता दें कि इसे पुराण में लिखा है कि दो वर्ष की कन्या कुमारी होती है। वहीं तीन साल की कन्या त्रिमूर्ति का स्वरूप होता है।

चार साल की कन्या कल्याणी, पांच साल की कन्या रोहिणी, छह साल की कन्या कालिका का स्वरूप, सात साल की कन्या चंडिका, आठ साल की कन्या शांभवी, नौ साल की कन्या दुर्गा और दस साल की कन्या सुभद्रा देवी का स्वरूप होती हैं।

छोटी कन्याएं भी देवी दुर्गा का ही स्वरूप

अष्टमी और नवमी तिथि पर छोटी कन्याओं को भोजन करवाएं। मान्यता के अनुसार छोटी कन्याएं भी देवी दुर्गा का ही स्वरूप हैं। छोटी कन्याओं की पूजा करने से देवी प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामनाएं अवश्य पूरी करती हैं।