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Vastu Tips: खाना परोसते समय थाली में क्यों नहीं दी जाती है 3 रोटियां, जानें क्या है इसके पीछे का राज

आपने देखा होगा कि घर में कोई मेहमान या रिस्तेदार आता है तो उन्हें थाली में रोटिंया दी जाती है. आपने नोट किया होगा की उनमें रोटियों की संख्या केवल दो होती है. क्या आपको पता है तीन क्यों नहीं दी जाती है.

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3 roti

Newz Funda, New Delhi खान में तीन रोटियों को एकसाथ देना बहुत ही अशुभ माना जाता है, लेकिन क्या आपको इसका ठोस कारण पता है. नहीं ना, तो आज हम आपके लिए बहुत जरुरी जानकारी लेकर आए हैं. जो आपके जीवन में बहुत काम आने वाली है.

Vastu Tips For Food: हमारे घरों में आपने देखा होगा कि कभी भी थाली में एक साथ तीन रोटियां नहीं रखी जाती है, ना ही कोई तीन रोटियों को पैक करवा कर लेकर आता है. इसके पीछे कोई-न-कोई राज है तभी तो इस बात पर इतना ध्यान दिया जाता है. लेकिन ज्यादातर लोगों को ये पता है कि ये अशुभ होता है पर ये नहीं पता कि क्यों होता है. यह सिर्फी रोटी पर ही लागू नहीं होते हैं बल्कि यह परांठों पर भी लागू होता है.

तीन को क्यों माना जाता है अशुभ

ज्योतिष में तीन नंबर को सही नहीं माना जाता है. तीन नंबर को आम जिदंगी में नहीं शामिल किया जाता है. इसके पीछे का कारण यही हैं कि किसी की मौत होने पर उसके लिए थाली परोसी जाती है.

उसमें ही केवल एकसाथ तीन रोटियों को रखा जाता है. इसी कारण से ही घरो में थाली में तीन रोटियां नहीं दी जाती है. हर किसी को खाना परोसते समय यही सलाह दी जाती है कि वह थाली में तीन रोटी न रखें.

एक साथ नहीं खानी चाहिए 3 रोटियां

इसके पीछे का एक कारण और भी है कि तीन रोटियां इसलिए खाने में नहीं दी जाती है कि इससे शरीर की फेट भी ज्यादा बढ़ती है. इसलिए मौटापे को कम करने के लिए दो रोटी खाना ही सही बताया है. 

अगर इन रोटी के साथ अगर चावल व दाल को शामिल कर दिया जाये तो यह एक पोष्टिक भोजन बन जाता है. क्योंकि अगर आप हल्का भोजन खाते हैं तो आपका शरीर हमेशा फिट रहता है. यदि भोजन अगर लिमिट के हिसाब से ना खाया जाये तो शरीर में बीमारियां आने लगती है साथ ही आलस की उत्पति होती है.

वैज्ञानिक आधार कोई नहीं

थाली में रोटी परोसने का वैज्ञानिकों ने कोई खास कारण नहीं बताया है. लेकिन ये रीति रिवाज काफी समय से चले आ रहे हैं तो हमारा फर्ज यही बनता है कि हम इसे सच्चे मन से फॉलो करें. वैज्ञानिकों का कहना है कि तीन रोटी परोसने के पीछे कोई साइंटिफिक कारण नहीं है. ये तो बस लोग अपने बुजुर्गों चलाई हुई रित को मान रहे हैं.