Navratri Special: नवरात्रि की पंचमी तिथि को स्कंदमाता की पूजा विशेष फलदायी, जानें क्या है विशेष
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Newz Funda, New Delhi चैत्र नवरात्रि की रविवार को 26 मार्च की पंचमी है। इस तिथि पर स्कंदमाता की पूजा करने का विधान बताया गया है। संतान की लंबी उम्र और अच्छी सेहत की कामना से नवरात्रि में देवी के इस पांचवे रूप की पूजा होती है।
इस नवरात्रि की पंचमी तिथि को स्कंदमाता की पूजा विशेष फलदायी होती है। इस दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में अवस्थित होना जरूरी है। जिससे कि ध्यान वृत्ति एकाग्र हो सके।
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यह शक्ति परम शांति और सुख का अनुभव कराती है। माता की कृपा से बुद्धि में वृद्धि होती और ज्ञान रूपी आशीर्वाद मिलता है। सभी तरह की व्याधियों का भी अंत हो जाता है।
संतान की लंबी आयु और अच्छी सेहत के लिए करें पूजा
इस पंचमी पर विशेष महत्व है। इस तिथि पर स्कंदमाता की पूजा करने का विधान बताया गया है। संतान की लंबी उम्र और अच्छी सेहत की कामना से नवरात्रि में देवी के इस पांचवे रूप की पूजा होती है।
स्कंदमाता भक्तों को सुख-शांति प्रदान करने वाली हैं। देवासुर संग्राम के सेनापति भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है।
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उपासना से भगवान स्कंद के बाल रूप की भी पूजा
ज्योतिषचार्य पंडित नीरज शर्मा ने बताया कि शिव और पार्वती के दूसरे और छह मुख वाले पुत्र कार्तिकेय का एक नाम स्कंद है क्योंकि यह सूर्य मंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं, इसलिये इनके चारों ओर सूर्य जैसा अलौकिक तेजोमय मंडल दिखाई देता है। उन्होंने बताया कि स्कंदमाता की उपासना से भगवान स्कंद के बाल रूप की भी पूजा होती है।
देवी स्कंदमाता का स्वरूप
मां के इस रूप की चार भुजाएं हैं। इन्होंने अपनी दाएं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद अर्थात कार्तिकेय को पकड़ा हुआ है। निचली दाएं भुजा के हाथ में कमल का फूल है। बायीं ओर की ऊपरी भुजा में वरद मुद्रा है और नीचे दूसरे हाथ में सफेद कमल का फूल है। सिंह इनका वाहन है।
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