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Lord Shiva: भगवान शिव को क्यों चढ़ाया जाता है बेल पत्र, जानें पौराणिक कथाओं से इसका रहस्य

समुद्र मंथन में अच्छी और बुरी दोनों तरह की चीज़ें निकली थी. समुद्र मंथन के दौरान हलाहल नामक एक विष यानि जहर निकला था. ये विष इतना शकि्तशाली था कि सारे संसार को अपने चपेट में ले सकता था.

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Newz Funda, New Delhi हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा को पारंपरिक माना जाता है। भगवान शिव को कई नामों से जाना जाता है, कोई उन्हें शिवशंकर तो कोई महादेव तो कोई भोलेनाथ कहता है. सोमवार का दिन भगवान शिव का विशेष दिन माना जाता है.

इस दिन भगवान शिव का व्रत रखा जाता है और उनकी विशेष पूजा अर्चना की जाती है. ऐसा  माना जाता है कि शिव जी बहुत भोले होते हैं. वे भक्तों द्वारा सच्चे मन से पूजा करने से बहुत जल्दी ही भगवान शिव खुश हो जाते हैं.

भगवान शिवशंकर की पूजा में कई चीजें चढ़ाई जाती हैं जो उन्हें बहुत प्रिय हैं. जैसे - जलअभिषेक, दुध, पुष्प भांग धतुरा के साथ-साथ महादेव को बेल पत्र भी चढाया जाता है. जिससे भगवान शिव बहुत खुश हो जाते हैं.

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बहुत ज्यादा कठिन तप करने की जरुरत नहीं है उन्हें सच्चे मन से एक कलश, भांग धतुरा, जल और बेलपत्र चढ़ा कर खुश कर सकते हैं. महादेव की पूजा में बेलपत्र अवश्य चढ़ाया जाता है.

आइए आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि भगवान शिव को आखिर बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है. साथ ही जानेंगे इससे जुड़ी पौराणिक महाकथा

पौराणिक महाकथा

समुद्र मंथन के बारे में तो आप सभी भी जानते ही हैं. एक बार देवता और दानव के बीच समुद्र मंथन हुआ था. इस समुद्र मंथन में अच्छी और बुरी दोनों तरह की चीज़ें निकली थी. समुद्र मंथन के दौरान हलाहल नामक एक विष यानि जहर निकला था.

ये विष इतना शकि्तशाली था कि सारे संसार को अपने चपेट में ले सकता था. पूरी पृथ्वी के लोंगो को नष्ट कर सकता था। सभी देवता उस विष के जानलेवा प्रभाव से चिंतित होने लगे. किसी में भी इतनी शक्ति, हिमत नहीं थी कि उस के प्रभाव को रोक सके.

विष का सेवन

उस समय भगवान शिव ने पूरे संसार को बचाने के लिए इस विष का सेवन कर लिया और इसे अपने कंठ में ही धारण करके रखा. इस विष के बहुत शकि्तशाली होने के कारण भगवान  शिव का कंठ नीला हो गया. तब से उनका नाम भी नील कंठ पड़ गया.  

जिससे सभी उनको नीलकंठ भी बोलते हैं । तभी से इनको देवों के देव महादेव कहा जाने लगा। शकि्तशाली विष प्रभाव के कारण भगवान शिव का शरीर गर्म होकर तपने लगा और बहुत ही गरम हो गया. जिसके कारण आस-पास का वातावरण भी तप से  जलने लगा.

इसलिए पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बेल पत्र विष के प्रभाव को कम करता है. इसी कारण भगवान शिव को देवताओं ने बेल पत्र खिलाना शुरु कर दिया. और साथ ही भगवान शिव कम करने के लिए उन पर जल चढाना शुरू कर दिया.

जिससे उन्हें काफी आराम मिला और उनके शरीर का तप भी कम हो गया. तभी से भगवान शिव पर बेल पत्र और जल अर्पित करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. और जिसे आज तक भी निभाया जा रहा है. इसलिए भगवान शिव को भांग धतुरा, जल और बेलपत्र चढ़ाने से वे खुश होते हैं।