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Lord Shiva: भगवान शिव को क्यों चढ़ाया जाता है बेल पत्र, समुद्र मंथन से है इसका कनेक्शन, जानें पौराणिक कथाओं की दिलचस्प कहानी

Lord Shiva: हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा का बहुत महत्व है. भगवान शिव को कई नामों से जाना जाता है, कोई उन्हें महादेव तो कोई भोलेनाथ कहता है. सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित माना जाता है. इस दिन महादेव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है.
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Newz Funda, Viral Desk Lord Shiva: हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा का बहुत महत्व है. भगवान शिव को कई नामों से जाना जाता है, कोई उन्हें महादेव तो कोई भोलेनाथ कहता है. सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित माना जाता है. इस दिन महादेव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. 

मान्यता है कि शिव जी बहुत भोले हैं. भक्तों द्वारा सच्चे मन से पूजा करने पर बहुत जल्द ही भगवान भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं. भगवान भोलेनाथ की पूजा में कई चीजें चढ़ाई जाती हैं जो उन्हें बेहद प्रिय हैं. जीलाभिषेक, दुग्धाभिषेक, पुष्प के साथ ही महादेव को बेल पत्र भी बेहद प्रिय है.

भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए बहुत ज्यादा कठिन तप करने की आवश्यकता नहीं होती. उन्हें आप एक कलश जल और बेलपत्र चढ़ा कर प्रसन्न कर सकते हैं. महादेव की पूजा में बेल पत्र जरूर चढ़ाया जाता है. आइए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर भगवान शिव को बेल पत्र क्यों चढ़ाया जाता है. साथ ही जानेंगे इससे जुड़ी पौराणिक कथा.

Sawan 2022 Puja Vidhi: शिवलिंग पर कैसे चढ़ाएं बेल पत्र, जानिए इसके महत्व और नियम

BelPatra Chadhane Ke Niyam: सावन का महीना शीघ्र ही आरंभ होने वाला है। 14 जुलाई से सावन आरंभ होने वाला है। भगवान भोलेनाथ को यह महीना प्रिय होता है। श्रावण मास में भगवान भोलेनाथ की आरधना की जाती है। 

भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए उनकी प्रिय वास्तु अर्पित की जाती हैं। इसीलिए पूजा में हम भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र भी अर्पित करते हैं। बेलपत्र के पत्ते भगवान शिव को बहुत प्रिय हैं, इसलिए भगवान शिव की पूजा अर्चना में यदि बेलपत्र नहीं चढ़ाया तो वह अधूरी मानी जाती है। 

बेलपत्र के तीन पत्ते जो आपस में जुड़े होते हैं, पवित्र माने जाते हैं। तीन पत्ते आपस में जुड़े हुए हैं इसलिए इन तीन पत्तों को त्रिदेव माना जाता है और कुछ का मानना है कि तीन पत्ते महादेव के त्रिशूल का प्रतिनिधित्व करते हैं। मान्यता है कि बेलपत्र के तीन जुड़े हुए पत्तों को शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान शिव को शांति मिलती है और भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। यदि भगवान शिव को प्रेम से केवल बेलपत्र के पत्ते चढ़ाए जाते हैं, तो भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। आइए जानते हैं भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र चढ़ाने के नियम और लाभ। 

भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र का महत्व

अपने त्रिकोणीय आकार के साथ बेल पत्र  भगवान शिव की तीन आंखों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके अलावा यह भगवान के अस्त्र त्रिशूल का प्रतिनिधित्व करता है। बेल पत्र ठंडक प्रदान करते हैं। यह भी माना जाता है कि सावन पर बेलपत्र से पूजा करने वाले भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। 

बेल वृक्ष के नीचे शिवलिंग की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं। बिल्व वृक्ष के नीचे दीपक जलाने से ज्ञान की प्राप्ति होती है। बिल्व वृक्ष के नीचे गरीबों को भोजन कराने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।

बेलपत्र चढ़ाने के नियम 

भगवान शिव को हमेशा उल्टा बेलपत्र यानी चिकनी सतह की तरफ का भाग स्पर्श कराते हुए ही बेलपत्र चढ़ाएं।
बेलपत्र को हमेशा अनामिका,अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से चढ़ाएं एवं मध्य वाली पत्ती को पकड़कर शिवजी को अर्पित करें।
शिव जी को कभी भी सिर्फ बिल्वपत्र अर्पण नहीं करें, बेलपत्र के साथ जल की धारा जरूर चढ़ाएं।
बेलपत्र की तीन पत्तियां ही भगवान शिव को चढ़ाएं। ध्यान रखें पत्तियां कटी-फटी न हों।
कुछ तिथियों पर बेलपत्र तोड़ना वर्जित होता है। चतुर्थी,अष्टमी,नवमी,चतुर्दशी और अमावस्या को,संक्रांति के समय और सोमवार को बेल पत्र नहीं तोड़ना चाहिए। ऐसे में पूजा से एक दिन पूर्व ही बेल पत्र तोड़कर रख लिया जाता है।
बेलपत्र कभी अशुद्ध नहीं होता। पहले से चढ़ाया हुआ बेलपत्र भी फिर से धोकर चढ़ाया जा सकता है।