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क्यों नही किए जाते राहुकाल में शुभ कार्य, जानें यहां पूरी जानकारी

ज्योतिष के अनुसार कुंडली में राहु दोष होने से मानसिक तनाव, आर्थिक नुकसान, बीमारियां और दुख दर्द आदि झेलने पड़ते है। राहु दोष मुक्ति के लिए...
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राहुकाल
Newz Funda, New Delhi हिंदू धर्म और वैदिक ज्योतिष शास्त्र में माना जाता है कि शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य सफल होता है। इसलिए कोई भी शुभ कार्य करने से पहले मुहूर्त पर विचार करना जरूरी होता है। जानें यहां पूरी जानकारी 

किसी पर्व या धार्मिक अनुष्ठान और संस्कारों में योग, मुहूर्त, ग्रह-नक्षत्रों की चाल और काल की गणना अवश्य की जाती है।  शुभ और अशुभ मुहूर्त की काल गणना पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

दैनिक जीवन में राहु काल का विचार करके ही शुभ कार्य किए जाते है क्योंकि राहुकाल को अशुभ माना जाता है। इस समय कोई भी शुभ कार्य नही किया जाता। ज्योतिष में राहुकाल क्या होता है कैसे इसकी गणना की जाती है और इसमें शुभ कार्य क्यों है आदि के बारे में जानते है।

राहुकाल क्या होता है?

राहुकाल, जैसा कि नाम से स्पष्ट होता है राहु और काल। वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह को बहुत ही पापी और क्रूर ग्रह माना जाता है। राहु से देवी-देवताओं पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।

व्यक्ति के जीवन में यानी कुंडली में अगर राहु दोष हो तो मानसिक तनाव, आर्थिक नुकसान, बीमारियां और दुख-दर्द झेलने पड़ते हैं। जिन लोगों पर राहु का प्रभाव पड़ता है उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 

ज्योतिष में राहु दोष से मुक्ति के लिए कई तरह के उपाय बताए जाते हैं। वहीं काल का अर्थ होता है समय खंड. जिसे वैदिक ज्योतिष शास्त्र में शुभ नहीं माना जाता है। इस कालखंड के स्वामी राहु होते हैं इस कारण से सबसे ज्यादा प्रभाव राहु की होता है। 

ऐसे में इस दौरान कोई भी महत्वपूर्ण कार्य नहीं किया जाता है। इस कालखंड में जिसे राहुकाल का समय कहा जाता है, उसमें किया जाने वाला कार्य का अच्छा परिणाम नहीं मिलता है।इसे राहुकाल कहा जाता है। हर दिन राहु का काल समय होता है।

राहुकाल की गणना कैसे होती है?

दिन में किस समय राहुकाल और किस समय राहुकाल नहीं है, इसकी गणना पंचांग और वैदिक ज्योतिष शास्त्र में बताए गए सूत्रों के आधार पर किया जाता है। अलग-अलग जगहों पर राहु काल का समय अलग-अलग होता है क्योंकि इसकी गणना का आधार सूर्योदय और सूर्यास्त के समय से होता है।

सबसे पहले आप जिस जगह का राहुकाल का पता लगाने चाहते हैं उस क्षेत्र में उस दिन के सूर्योदय और सूर्यास्त का समय पता कर लें। फिर इस पूरे समय को 8 बराबर भागों में बांट लें। राहुकाल का समय करीब डेढ़ घंटे का होता है। 

मान लीजिए आप जिस जगह रहते हैं वहां पर सूर्योदय सुबह 6 बजे और सूर्यास्त शाम 6 बजे होता है।  इस तरह से सोमवार को दूसरा, मंगलवार को सातवां, बुधवार को पांचवां, गुरुवार को छठा, शुक्रवार को चौथे, शनिवार को तीसरा और रविवार को आठवां हिस्सा राहुकाल कहलाता है।

सप्ताह में राहुकाल का समय

सोमवार प्रातः 7:30 – प्रातः 9:00

मंगलवार सायं 3:00 – सायं 4:30

बुधवार प्रातः 12:00 – सायं 1:30

बृहस्पतिवार सायं 1:30 – सायं 2:00

शुक्रवार प्रातः 10:30 – प्रातः 12:00

शनिवार प्रातः 9:00 – प्रातः 10:30

रविवार सायं 4:30 – सायं 6:00

राहुकाल के दौरान क्या करें क्या न करें

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहुकाल के दौरान बहुत से काम नहीं करना चाहिए। जानते हैं कौन-कौन कार्य नहीं करना चाहिए। राहुकाल के दौरान कोई भी नया काम न करें। काम की शुरुआत राहुकाल के समय को ध्यान में रखते हुए पहले या बाद में करें।

अगर आपको गृह प्रवेश करना है तो उस दिन राहुकाल में न करें। राहुकाल में कोई भी नई महंगी लग्जरी चीज न खरीदें। किसी दुकान या प्रतिष्ठान के उद्घाटन राहुकाल में न करें.किसी व्यापार की शुरुआत राहुकाल में न करें।