home page

Vastu Tips : पति-पत्नी कभी न खाएं ऐसे खाना, वरना पैदा हो सकता है घर में कलेश

अक्सर आपने सुना होगा कि एक ही थाली में खाना खाने से पति पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है, लेकिन क्या आप जानते हैं, कि...
 | 
पति पत्नी भोजन
Newz Funda, New Delhi  वर्तमान समय में संयुक्त परिवार की परंपरा लगभग खत्म हो गई है, शादी के बाद पति-पत्नी अलग रहते है। जिसका प्रभाव लाइफ स्टाइल के साथ-साथ खान पीन पर भी पड़ा है। जिसके चलते पति-पत्नी आज कल एक साथ एक थाली में खाना खाने लगे हैं।

ऐसा माना जाता है कि एक ही थाली में खाना खाने से पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है, पर क्या आप जानते हैं कि इसका आपके जीवन पर उल्टा प्रभाव पड़ सकता है जो कि आपके जीवन को बर्बाद कर सकता है। ऐसा करने से आप परिवार के दूसरे लोगों से दूर होने लगते हो। 

धर्म शास्त्रों के ज्ञाता भीष्म पितामह ने भी इसके बारे में विस्तार में जानकारी दी है, जिसका उल्लेख महाभारत में भी किया गया है।

क्या कहता है शास्त्र

शास्त्रों के ज्ञाता भीष्म पितामह ने आदर्श जीवन के बारे में बताते हुए कहा है कि एक व्यक्ति अपने जीवन में कई रिश्ते बनाता है। उस व्यक्ति का एक फर्ज होता है ​कि वह अपने पूरे ​परिवार को खुश रखे, उसे अपने परिवार के प्रति सभी जिम्मेदारियों को अच्छे से निभाना चाहिए। 

अपने परिवार के प्रति सभी कर्तव्यों की ईमानदारी से पालना करनी चाहिए। सभी सदस्यों के साथ मधुर संबंध होने चाहिए। अगर पति-पत्नी एक ही थाली में भोजन करते हैं, तो पति का अपनी पत्नी के प्रति प्रेम परिवार के अन्य सदस्यों की तुलना में ज्यादा बढ़ जाता है। 

ऐसे में वो परिवार के अन्य सदस्यों से दूर होने लगता है। जिस की वजह से घर में बात -बात पर झगड़ा होने लगता है। परिवार बिखर जाते है, इस तरह एक छोटी सी गलती पूरे परिवार की खुशियां छीन सकती है।

नहीं रहती अच्छे-बुरे की पहचान

पति-पत्नी में जरूरत से ज्यादा प्रेम होने से पति की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। वह इंसान सही गलत की पहचान भी नही कर सकता, उसे अपनी पत्नी ही हमेंश सही लगती है। पत्नी के प्रेम के आगे उसे परिवार के दूसरे सदस्यों का प्यार दिखाई ही नही देता, जिससे रिश्तों में भेदभाव पैदा हो जाता है।  

ऐसा करना  एक परिवार के मुखिया के लिए सही नही है। इसलिए जरूरी है कि पति-पत्नी एक ही थाली में नहीं बल्कि पूरा परिवार एक साथ बैठकर भोजन करें, जिससे रिश्ते मजबूत होते है। परिवार के सदस्यों के बीच त्याग और समर्पण की भावना बढ़ती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है