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Diwali 2022: दीपावली पर लक्ष्मी पूजा का क्या होगा शुभ मुहूर्त और पूजन सामग्री, जानें पूरी डिटेल

हिंदू धर्म में दीपावली के त्योहार को धन प्राप्ति के लिए सर्वोत्तम माना गया है। हालांकि दिवाली का यह त्योहार अकेले नहीं आता है। यह अपने पांच अन्य महान त्योहार लेकर आता है। जिन्हें हम पंचपर्व के रूप में...
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luxmi pooja

Newz Funda, New Delhi दीपावाली का त्योहार अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में मनाया जाता है। इस त्योहार पर चारों ओर प्रकाश ही प्रकाश दिखाई देता है। इन दिनों जहां भी नजर जाती है वही रंग बिरंगी लाइट और दीपक दिखाई देते हैं।

हिंदू धर्म में दीपावली का त्योहार धन प्राप्ति के लिए सर्वोत्तम माना गया है। हालांकि दीपावली का ये त्योहार अकेले नहीं आता। इसके साथ आते हैं पांच महान त्योहारए जिन्हें हम पंचपर्व के रूप में मनाते आ रहे हैं।

हिंदू धर्म का मान्यताओं के अनुसार इन पंच पर्वों का बहुत अधिक महत्व है। इन त्योहरों में सबसे पहले धनतेरस मनाया जाता है। इसके बाद रूपचतुर्दशी आती है।

फिर दीपावली उसके बाद गोवर्धन पूजा और अंतिम त्योहार आता है भाई दूज। धन की प्राप्ति के लिए हिंदू धर्म को मानने वाले दिपावली की रात्रि में शुभ मुहूर्त में देवी लक्ष्मी की पूजा करते है। 

लक्ष्मी माता की पूजा के दौरान बहुत सी पूजन सामग्री की आवश्यकता पड़ती है। जिसकी व्यवस्था समय से पहले ही हमे कर लेनी चाहिए। आइए जानते हैं इस साल दिवाली लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।

दीपावली 2022 लक्ष्मी पूजा शुभ मुहूर्त

अमावस्या आरंभ 24 अक्टूबर को 5 बजकर 27 मिनट पर 

अमावस्या तिथि समाप्त 25 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 18 मिनट पर 

दीपावली पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 44 से 8 बजकर 5 मिनट तक

26 को होगी गोवर्धन पूजा 

2022 की दीपावली 24 अक्टूबर कह है, जिससे अगले दिन होने वाली गोवर्धन पूजा 25 अक्टूबर को सूर्यग्रहण होने के कारण अब 26 अक्टूबर को होगी। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 2007 के बाद दूसरी बार ऐसा होगा। जब दिवाली पर सुबह चतुर्दशी रहेगी और अमावस्या दोपहर में शुरू होगी।

लक्ष्मी माता की पूजन सामग्री

लक्ष्मी माता की पूजा करने से पहले पूजन सामग्री का इंतजाम अवश्यक करें, ताकि पूजा के समय माता को सबकुछ भेंट किया जा सके।

पूजन सामग्री में रोली, मौली, धूप, अगरबत्ती, कर्पूर, केसर, चंदन, अक्षत, जनेऊ 5, रुई, अबीर, गुलाल, बुक्का, सिंदूर, कोरे पान डन्ठल सहित 10, साबुत सुपारी 20, पुष्पमाना, दूर्वा, इत्र की शीशी, छोटी इलायची, लवंग, पेड़ा, फल, कमल, दुध, दही, घी, शहद, शक्कर, 

पांच पत्ते, हल्दी की गांठ, गुड़, सरसों, कमल गट्टा, चांदी का सिक्का, हवन सामग्री का छोटा पैकेट, गिरी गोला.2, नारियल 2, देवी लक्ष्मी की मूर्ति, भगवान गणेश की मूर्ति, सिंहासन, वस्त्र, कलम, बही खाते, 

ताम्र कलश या मिट्टी का कलश, पीला कपड़ा आधा मीटर, सफेद कपड़ा आधा मीटर, लाल कपड़ा आधा मीटर, सिक्के, लक्ष्मी पूजन का चित्र, श्री यंत्र का चित्र और कमल गट्टे की माला आदि। 

पूजन से पहले कैसे करें तैयारी 

जिस जगह आपने चौकी लगानी है तो ध्यान दें कि चौकी पर लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति को इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर हो और ध्यान दें कि देवी लक्ष्मी, गणपति जी के दाहिनी ओर रहे।

पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की ओर बैठे और पूजा करें। पूजन में रखा जानें वाले कलश को देवी के पास अक्षत पर रखें। नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटे कि अग्रभाग दिखाई देता रहे और इसे इसे कलश पर रखें।

अब दो बड़े दीपक लें और एक में घी भरे व दूसरे में तेल। एक दीपक चौकी के दायी ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में स्थापित करें। इसके अलावा एक दीपक भगवान गणेश के पास रखें। 

मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र रखें। कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से वस्त्र पर नौ ग्रहों की प्रतीक नौ ढ़ेरिया तीन लाईनों में बनाए। इसी के साथ लंबोदन की ओर चावल की 16 ढ़ेरियां बनाए।

अब नवग्रह और सोलह मातृका के बीच में स्वास्तिक का निशान बनाए। इसके बीच में सुपारी रखें और चारों कोनों पर अक्षत की ढेरी। सबसे ऊपर बीच में ऊँ लिखें।

देवी लक्ष्मी की ओर श्री का चिन्ह बनाए। गणेश जी की ओर त्रिशूल बनाए व चावल की ढेरी लगाए जो ब्रह्मा जी का प्रतीक है। सबसे नीचे अक्षत की 9 ढ़ेरियां बनाए जो मातृका की प्रतीका है।

इसके अतिरिक्त बहीखाताए कलम.दवात और सिक्कों की थैली रखें। ध्यान रखें कि पूजा करते समय आपके परिवार के सदस्य आपकी बाईं ओर बैठें।