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Chhath Puja 2022: नहाय खाय के साथ छठ पूजा आज से हुई शुरू, जानें खरना और अर्घ्य का समय और शुभ मूहुर्त

छठ पर्व पर संतान की सुख-समृद्धि व दीर्घायु की कामना के लिए सूर्यदेव और षष्ठी माता की स्तुति की जाएगी। लोग स्नान कर नए वस्त्र, धारण कर पूजा के बाद भोजन ग्रहण करते है।

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chath pooja

Newz Funda, New Delhi हिंदू कैलेंडर के अनुसार आज से शुरु हुए छठ महापर्व के तहत कल शनिवार को खरना होगा। इस दिन पूजा के बाद महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखेंगी और शाम को खरना पूजन करेंगी।

पूजन के बाद महिलाएं चूल्हे पर गुड़ की खीर बनाकर उसका प्रसाद ग्रहण करेंगी। साथ ही ठेकुआ का प्रसाद कुल देवता और छठ मइया को अर्पित किया जाएगा। अपने अपने घरों में छठ मईया का अखंड दीपक जलाकर मान्यता की जाएगी।

मान्यता है कि खरना के बाद से ही षष्ठी मइया का घर में आगमन होता है। 30 अक्तूबर को संगम व गंगा.यमुना के विभिन्न घाटों पर वर्त रखने वाले लोग डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे। इस क्रम में 31 अक्तूबर को उदित होते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रत का पारण होगा। पर्व को लेकर सभी घरों में उत्साह है। 

उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक पंडित दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली ने जानकारी देते हुए बताया कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी के दिन लोक आस्था का महापर्व छठ मनाया जाता है।

छठ पर्व चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है जो मुख्य रूप से बिहारए झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। महिलाएं तीन दिन तक उपवासए सूर्य भगवान की पूजा करती हैं। पर्व का तीसरा दिन मुख्य छठ पूजा का होता है।

व्रत, पूजन का दिन और समय

- सूर्य षष्टी व्रत आरंभ 28 अक्तूबर शुक्रवार को नहाय खाय।

- सूर्य षष्टी व्रत द्वितीय दिन ;खरनाद्ध 29 अक्तूबर  शनिवार का है।

- मुख्य व्रत 30 अक्तूबर दिन रविवार को। सूर्यास्त का समय 5 बजकर 34 मिनट का रहेंगा। इस दिन अस्तांचलगामी सूर्य देव को सायंकालीन अर्घ्य का समय शाम 5 बजकर 29 मिनट से 5 बजकर 39 मिनट तक का होगा। 

- 31 अक्तूबर को सूर्योदय 6 बजकर 29 मिनट होगा।  प्रात कालीन अर्घ्य सुबह 6 बजकर 27 मिनट से लेकर 6 बजकर 34 मिनट एवं पारण प्रसाद ग्रहण करके।

29 अक्तूबर को खरनाए सूर्य देव को लगेगा भोग

पंडित पूर्वांचली ने बताया कि छठ महापर्व की शुरूआत 28 अक्टूबर को नहाय खाय से हो रही है। इस दिन महिलाएं स्नान करके नई साड़ियां पहनकर भगवान सूर्य की पूजा करती हैं। इसी दिन भकद्दू की सब्जी खायी जाती है।

दूसरे दिन यानी 29 अक्तूबर को खरना है। इस दिन सूर्यास्त के बाद गुड़ए दूध वाली खीर और रोटी बनाई जाती है। खरना के दिन महिलाएं सूर्य देव को भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करती हैं। फिर महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है।

30 को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य

महर्षि पराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पंडितराकेश पांडेय का कहना है कि सूर्यषष्ठी व्रत 30 अक्तूबर रविवार को होगा। संध्या काल में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य का समय शाम 5 बजकर 34 मिनट का है।

पंडित राकेश ने बताया कि इस दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। पूजा का समापन कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन सूर्योदय के बाद होता है। सप्तमी 31 को है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन होगा।

हर परंपरा में पवित्रता का विशेष ध्यान

राकेश पांडेय ने छठ परंपरा की पवित्रता को लेकर कहा कि इन चार दिनों के दौरान हर ओर से में पवित्रता का जरूर ध्यान रखना चाहिए तभी व्रत का उचित फल प्राप्त होता है।

नहाय खाय के दिन व्रती पूरी शुद्धता से घर की अच्छे से साफ करें। व्रतियों के पवित्र नदी या तालाब में स्नान का नियम है। खाना बनाने के दौरान किसी भी जूठी वस्तु का प्रयोग न हो। इसी के साथ ही व्रती के साथ घर में रहने वाले परिवार के अन्य सदस्य भी शुद्धता का पूरा ध्यान रखना चाहिए।


पूजन के लिए चाहिए 45 सामग्री
छठ पूजन चार दिन तक चलने वाला है, ऐसे में हर रोज पूजा पाठ होगा। जिसके लिए आपको मुख्य रूप से 45 सामग्री की जरूरत पड़ेगी। इसमें नारियल, धूप, कलशुप, दउरा, गागल, गुड़, हल्दी का पत्ता, अदरक, मूली, अरूई, गन्ना, सुथनी, अमरूद, आरता पात, अगरबत्ती, माचिस,

घी, तेल, गमछा कोशी, फूल माला, बोडो, आम की लकड़ी, सिरकी बेरा, नए वस्त्र, नाशपाती, नीबू, सेब, केला, संतरा, शरीफा, पानी फल, कच्चा केला, पान का पत्ता,

सुपारी, कपूर, लौंग, लाल सिंदूर, दीपक, कोशी, कोन, अनारश, कलश, साठी चावल चिउरा,  शकरकंदी और कुमकुम शामिल है। बाजार में कलशुप, बोडो, सिरकी बेरा मुंडेरा मंडी में मिलेगा। बाकी सभी पूजन सामग्री चौक और कमरा में उपलब्ध है।