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Bhai Dooj 2022: सर्वार्थ सिद्धि समेत भाई दूज पर बनते हैं तीन शुभ योग, जानें तिलक लगाने का मुहूर्त

दिपावली के बाद कार्तिक मा​ह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। इस बार भाई दूज पर सर्वार्थ सिद्धि समेत तीन शुभ योग बन रहे हैं। आइए जानते हैं इन शुभ योग और तिलक लगाने के मुहूर्त...

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bhai dooj

Newz Funda, New Delhi हिंदू धर्म भाई दूज का त्योहार बड़ी खूशी के साथ मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार देखा जाएं तो कार्तिक मा​ह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है।

इस त्योहार को यम द्वितीयाए भाऊ बीजए भतरु द्वितीया आदि नामों से भी जाना जाता है। दीपावली के बाद इस बार भी भाई दूज का त्योहार 27 अक्टूबर दिन वीरवार को मनाया जाएंगा।

इस त्योहार पर  बहनें अपने भाइयों को घर पर आमंत्रित कर उन्हें तिलक करती हैं और उन्हें भोजन कराती हैं। इस आमंत्रित के बदले में भाई बहनों को अच्छे अच्छे उपहार देते हैं।

केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉण् गणेश मिश्र ने जानकारी देते हुए कहा कि इस साल भाई दूज पर सर्वार्थ सिद्धि समेत तीन शुभ योग बने हुए हैं। आइए जानते हैं भाई दूज के शुभ योग और तिलक लगाने के मुहूर्त के बारे में...

भाई दूज का क्या हैं मुहूर्त

हिंदू पंचाग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि का प्रारंभ 26 अक्टूबर दिन बुधवार को रात 9 बजकर 12 मिनट पर हो रहा है। इस तिथि का समापन अगले दिन यानि 27 अक्टूबर वीरवार को शाम 7 बजकर 15 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर भाई दूज का त्योहार 27 अक्टूबर वीरवर को ही मनाया जाएगा।

भाई को तिलक लगाने का क्या हैं शुभ मुहूर्त

उदयातिथि 27 अक्टूबर को भाई दूज के अवसर पर भाइयों को तिलक करने का शुभ मुहूर्त समय दोहपर 1 बजकर 9 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 41 मिनट तक का होगा।  इस दिन करीब 2 घंटे 32 मिनट तक का शुभ रहने वाला है। 

भाई दूज पर बने रहें है तीन शुभ योग

2022 में भाई दूज पर सर्वार्थ सिद्धि योग बना हुआ है, जो दोपहर को 12 बजकर 11 मिनट से अगले दिन 28 अक्टूबर शुक्रवार को सुबह 6 बजकर 30 मिनट तक का होगा। ज्योषि के अनुसार इस योग में किए गए सभी कार्य और काम सफल होते हैं।

वहीं, भाई दूज के सुबह 07 बजकर 27 मिनट तक आयुष्मान योग बना है। जिसके बाद से सौभाग्य योग का प्रारंभ हो जाएगा। सौभाग्य योग अगले दिन सुबह 4 बजकर 33 मिनट तक रहेगा और ये तीनों ही योग मांगलि​क कार्यों और भाग्य के लिए शुभ फलदायी होते हैं।

क्या है भाई दूज का महत्व

पौराणिक मान्याओं के अनुसार भाई दूज की कथा यह है कि अपनी बहन यमुना के ​निवेदन पर यमराज कार्तिक शुक्ल द्वितीया को उनके घर गए थे। तब भाई को देखकर बहन यमुना अत्यंत प्रसन्न हुई थीं।

उन्होंने स्वागत सत्कार करने के बाद यमराज को भोजन कराया। जिससे वे प्रसन्न हुए और विदा लेते समय यम ने यमुना से वरदान मांगने को कहा। ओर कहा कि आप हर साल इस दिन ही मेरे घर आएंगे। 

इस दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जाएगा, तिलक लगवाएगा, भोजन ग्रहण करेगा। उसे यम के भय से मुक्ति मिलेगी। उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा।

तब यमराज ने यमुना को यह वरदान दिया। तब ये भाई दूज या यम द्वितीया का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन यम की पूजा करने और यमुना नदी में स्नान करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।